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हमें अपनी नदियों को तात्‍कालिकता की भावना के साथ बचाना होगा : उपराष्ट्रपति

Desk Editor
3 Oct 2021 2:09 PM GMT
हमें अपनी नदियों को तात्‍कालिकता की भावना के साथ बचाना होगा : उपराष्ट्रपति
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फेसबुक पोस्ट में, नायडू ने असम और ब्रह्मपुत्र नदी की यात्रा के अपने अनुभव को अविस्मरणीय बताया। उन्होंने लिखा है कि वह 'ब्रह्मपुत्र नदी के प्राकृतिक सौन्‍दर्य को देखकर चकित रह गए

पीआईबी, नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज देश की नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए एक शक्तिशाली राष्‍ट्रीय अभियान चलाए जाने की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए सुझाव दिया कि हमें अपनी नदियों को तात्कालिकता की भावना के साथ बचाना होगा।

यह उल्लेख करते हुए कि भारत में नदियों को सदैव ही उनकी जीवन दायिनी शक्ति के लिए सम्मानित किया गया है, नायडू ने कहा कि बढ़ते हुए शहरीकरण और औद्योगीकरण से देश के विभिन्‍न भागों मेंनदियों और अन्‍य जल निकायों में प्रदूषण को बढ़ावा मिला है। विगत में हमारे गाँव और शहरोंमें अनेक जल निकाय हुआ करते थे। आधुनिकीकरण की चाह औरलालच से प्रेरित होकर मनुष्य ने प्राकृतिक इकोसिस्‍टम को नष्ट कर दिया है और अनेक स्थानों परयेजल निकाय या तो लगभग लुप्‍त हो गए हैं या उन पर अतिक्रमण कर लिया गया है।

नायडू पूर्वोत्तर के दौरे पर आज गुवाहाटी पहुंचे और उन्‍होंने ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर विरासत एवं सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन करके अपनी यात्रा का शुभारंभ किया। उन्होंने इस सांस्‍कृतिक केंद्र के संग्रहालय का भी दौरा किया और इस अवसर पर एक कॉफी-टेबल पुस्तक 'फॉरएवर गुवाहाटी' का विमोचन किया।

बाद में एक फेसबुक पोस्ट में, नायडू ने असम और ब्रह्मपुत्र नदी की यात्रा के अपने अनुभव को अविस्मरणीय बताया। उन्होंने लिखा है कि वह 'ब्रह्मपुत्र नदी के प्राकृतिक सौन्‍दर्य को देखकर चकित रह गए। उन्‍होंने एक शानदार नदी के किनारे बने शानदार बगीचे से नदी का दृश्‍य देखा। मैं इस स्मृति को लंबे समय तक याद रखूंगा।' उन्होंने कहा कि लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करने वाली यह महान नदी इस क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न अंग है।

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