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प्रतापगढ़ के अनिल मिश्रा के चारों बेटे और बेटियों ने दो कमरे के मकान में पढ़कर IAS और IPS बनकर नाम किया रोशन

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27 May 2019 5:54 AM GMT
प्रतापगढ़ के अनिल मिश्रा के चारों बेटे और बेटियों ने दो कमरे के मकान में पढ़कर IAS और IPS बनकर नाम किया रोशन
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चार भाई बहन में सबसे बड़े हैं योगेश मिश्रा, जो IAS हैं। इस समय कोलकाता में राष्ट्रीय तोप एवं गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी हैं। दूसरे नंबर पर हैं बहन क्षमा मिश्रा, जो IPS हैं। वर्तमान में कर्नाटका में पोस्टेड हैं। तीसरे नंबर पर हैं माधवी मिश्रा, जो झारखंड कैडर की IAS हैं। इस समय केंद्र के विशेष प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में तैनात हैं। चौथे नंबर पर हैं लोकेश मिश्रा, जो IAS हैं। इस समय बिहार के चंपारण जिले में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

प्रतापगढ़ के लालगंज तहसील के रहने वाले अनिल मिश्रा को एक ही तमन्ना थी कि उनके चारों बच्चे बड़े होकर उनका नाम रोशन करें। हुआ भी यही, चारों ने देश की सर्वोच्च सेवाओं के एग्जाम को क्वालीफाई किया।

चार भाई बहन में सबसे बड़े हैं योगेश मिश्रा, जो IAS हैं। इस समय कोलकाता में राष्ट्रीय तोप एवं गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी हैं। दूसरे नंबर पर हैं बहन क्षमा मिश्रा, जो IPS हैं। वर्तमान में कर्नाटका में पोस्टेड हैं। तीसरे नंबर पर हैं माधवी मिश्रा, जो झारखंड कैडर की IAS हैं। इस समय केंद्र के विशेष प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में तैनात हैं। चौथे नंबर पर हैं लोकेश मिश्रा, जो IAS हैं। इस समय बिहार के चंपारण जिले में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

सबसे बड़े भाई योगेश ने बताया, IAS होने से पहले वो सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और नोएडा में तैनात थे। उस समय उनकी दोनों बहनें क्षमा-माधवी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रही थीं। रक्षाबंधन के एक दिन पहले दोनों के एग्जाम का रिजल्ट आया और वो फेल हो गईं। उसके एक दिन बाद मैं राखी बंधवाने बहनों के पास गया और उनका हौसला बढ़ाया। उसी दिन ठान लिया कि सबसे पहले खुद IAS बनकर दिखाऊंगा, जिससे अपने छोटे भाई-बहनों को प्रेरणा दे सकूं। फिर तैयारी शुरू की और फर्स्ट अटेंप्ट में ही IAS बन गया। इसके बाद मैंने छोटे भाई-बहनों का मार्गदर्शन किया।




माधवी बताती हैं, चारों भाई-बहनों में उम्र का फर्क बहुत अधिक नहीं है। सभी एक-दूसरे से एक साल छोटे-बड़े हैं। लेकिन बचपन में कभी-कभी खेल के दौरान किसी बात को लेकर नोक-झोंक भी होती थी, तो उनमें से कोई एक इस नोकझोंक को प्यार में बदलने की जिम्मेदारी उठाता था। सभी को एक जगह इकट्ठा कराकर उनमें समझौता कराता था। क्षमा बताती हैं, सिर्फ 2 कमरों का मकान था, अगर कोई मेहमान आ गया तो सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी। ऐसे में हम सबको पढ़ने में प्रॉब्लम होती थी।

योगेश ने बताया, हम सभी अपने पैतृक गांव लालगंज में रहकर ही 12वीं तक पढ़ाई की। उसके बाद वो मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीटेक करने इलाहाबाद चले गए। वहीं सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब मिल गई और नोएडा चला गया। 2013 में IAS बना। क्षमा ने एमए तक की पढ़ाई गांव से ही की।




उसके बाद उनकी शादी 2006 में पास में रहने वाले सुधीर से हो गई। सुधीर उत्तराखंड में जिला आपूर्ति अधिकारी थे। उन्होंने भी क्षमा को आगे की पढ़ाई जारी रखने पर जोर दिया। शुरुआत में क्षमा का सिलेक्शन 2015 में डिप्टी SP के रूप में हुआ। लेकिन अगले साल फिर से एग्जाम देने के बाद 2016 में वो IPS बन गई। दूसरी बहन माधवी ने ग्रैजुएशन लालगंज से ही करने के बाद इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रैजुएशन करने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चली गईं।

वहां पढ़ाई पूरी होने के बाद जेएनयू दिल्ली में रिसर्च करने के दौरान ही 2016 में उनका सि‍लेक्शन IAS में हो गया। सबसे छोटे भाई लोकेश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिकल इंजीनयरिंग करने के बाद राजस्थान के कोटा में एक फर्टिलाइजर कंपनी में नौकरी की। 2015 में PCS का एग्जाम क्वालीफाई कर BDO हुआ। लेकिन उसके बाद उन्होंने फिर सिविल सर्विस की परीक्षा दी और 2016 में वो भी IAS हो गए।

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