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पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव का खुलासा, UPA सरकार के दो मंत्री RBI पर डालता था दबाव
Special Coverage News
15 July 2016 5:22 PM IST

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मुंबई: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने खुलासा किया है की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार आरबीआई गवर्नर पर अपने मन-मुताबिक फैसले कराने के लिए दबाव डालती थी।सुब्बाराव ने यूपीए टर्म के दो फाइनेंस मिनिस्टर्स प्रणब मुखर्जी और पी. चिदंबरम के बारे में कहा है कि, दोनों ने इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए इंटरेस्ट रेट घटाने पर दबाव डाला था, जबकि महंगाई को देखते हुए इंटरेस्ट रेट बढ़ाना समय की जरूरत थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार सुब्बाराव ने इन संस्मरणों को अपनी किताब 'हू मूव्ड माय इंटरेस्ट रेट?' में लिखा है। अभी यह किताब मार्केट में नहीं आई है। सुब्बाराव ने लिखा है कि मुखर्जी और चिदंबरम, दोनों का दबाव डालने का तरीका अलग था। अपने 5 वर्षों के टर्म में दोनों नेताओं के साथ कुछ तनातनी झेलने वाले सुब्बाराव ने लिखा है, मुखर्जी सीधे कहते थे कि ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए आरबीआई ब्याज दरें घटाए। चिदंबरम का मानना था कि फिस्कल कन्सॉलिडेशन पर उनके प्रयासों को देखते हुए मुझे दरें घटानी चाहिए। वह अपने लॉजिक ज्यादा जोरदार ढंग से रखते थे।
2012 में चिदंबरम के एक बयान के संबंध में सुब्बाराव ने लिखा है, मैंने जब बात नहीं मानी तो चिदंबरम ने चिढ़कर एक अस्वाभाविक कदम उठाया और आरबीआई के इस इनकार के रुख की पब्लिकली आलोचना कर डाली। चिदंबरम ने तब कहा था, ग्रोथ की चुनौतियों से निपटने के लिए गर सरकार को अकेले ही चलना है, तो हम ऐसा भी करेंगे। इस स्टेटमेंट से यह साफ था कि ग्रोथ सुस्त होने के समय रेट कट न होने से वह निराश थे।
सुब्बाराव ने लिखा है, एक ही हफ्ते बाद मेक्सिको में जी-20 मीटिंग के डिनर में जब चिदंबरम आए, तो उन्होंने वहां सबका वेलकम किया, लेकिन पूरी शाम मुझसे असहज दिखे। 1991 के बाद संभवत: यह पहला मौका है, जब आरबीआई के किसी पूर्व गवर्नर ने ऐसी बात कही है, जिसे फाइनेंस मिनिस्टर्स की दखलंदाजी कहा जा सकता है।
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