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कटघरे में हैं अरविन्द केजरीवाल- डॉ डी एम मिश्र

कटघरे में हैं अरविन्द केजरीवाल- डॉ डी एम मिश्र
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फ़ाइल फोटो
आम आदमी पार्टी का संकट दिनोदिन गहराता जा रहा है
बड़ी - बड़ी बातें करते थे , बड़े- बड़े मंचों से कल तक
ऐसा क्या मिल गया कि वह भी बिकने को तैयार हो गये
आम आदमी पार्टी का संकट दिनोदिन गहराता जा रहा है। अभी अमानतुल्ला और कुमार विश्वास विवाद पूरी तरह थमा भी नहीं था कि पूर्व मंत्री कपिल मिश्र ने केजरीवाल की तथाकथित ईमानदारी के खिलाफ यह कहकर बडा धमाका कर दिया कि केजरीवाल ने अपने मंत्री सत्येन्द्र जैन से दो करोड़ रूपये लिए जिसका मैं चश्मदीद गवाह हूँ। कपिल की यह स्वीकारोक्ति रही - मैं कभी यह मानने को तैयार नहीं था कि स्वयं केजरीवाल भी भ्रष्ट है और इतने बड़े घूसखोर भी ।यह घटना किसी को भी विचलित करने वाली हो सकती है। यद्यपि आम आदमी पार्टी में बहुतायत नेता घूसखेार और भ्रष्ट हैं। दूसरे के दामन को गंदला बताकर लोगो का ध्यान वह अपनी ओर से हटाने में माहिर हैं। मेरा जमीर इसे छुपाने में असमर्थ है , इसलिए मैं इसे सबको बता रहा हूँ। इस घटना से क्षुब्ध होकर अन्ना हजारे जो ''इंडिया अगेन्स्ट करप्शन'' के कभी सूत्रधार रहे हैं ने बयान दिया है- केजरीवाल से जुड़ी भ्रष्टाचार की खबरें सुनकर मैं बेहद दुखी हूँ। इस प्रकरण पर पूरी जानकारी लेने के बाद ही मैं कुछ कह पाऊँगा। लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़कर ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचे हैं। हालाँकि उन पर से भरोसा तो तभी टूट गया था जब उनके मंत्रियो पर तमाम तरह के आरोप लग रहे थे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ रहा था।


ईमानदारी की आड़ में बेईमानी का खेल हमारे देश मे सदियों से चलता आ रहा है। सच्चाई का मुखैाटा लगाकर झूठ और लूट का हथियार बड़ी आसानी से चल जाता है। हमारे लोंकतंत्र के लिए सबसे बड़ा संकट , भरोसे का संकट है। जिस किसी नेता को देखिये वह पहले ईमानदारी और भरोसे की बात करके जनता का दिल जीतता है और फिर उसे ठगना शुरू कर देता है। सारे नेता जान चुके हैं कि इस देश की जनता बेईमानों को झेलते - झेलते थक चुकी है। इसलिए ईमानदारी के नाम पर उसे किसी हद तक ठगा जा सकता है। कालेधन को बाहर निकालेगे और विदेशों में जमा धन वापस लायेगे । इस झूठे वादे के दम पर केन्द्र की सरकार धड़ल्ले से जनता को बेवकूफ बनाकर यश भी लूट रही है और एक के बाद एक राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार भी बना रही है । कांग्रेस के पास तो भष्टाचार का तकरीबन 60 वर्षों का एक लंबा इतिहास रहा है। वर्तमान समय में अरविन्द केजरीवाल को भ्रष्टाचार का नया अवतार कहा जा सकता है। समस्त पार्टियों के भ्रष्टाचार से निर्मित एक विशेष '' भ्रष्ट दूत''। दुनिया भर के सारे ठग उनके सामने पानी भरे। अमेरिका भी इस मामले में उनका लोहा मान चुका है। किसी ने कभी उनके बारे में सटीक टिप्पणी की थी- केजरीवाल एक्शन, ड्रामा, इमोशन और सस्पेंस की एक जीती जागती तस्वीर हैं।


अन्ना आन्दोलन , जे पी मूवमेन्ट के बाद इस देश का दूसरा सबसे बड़ा जनान्दोलन रहा है। यह वह आन्दोलन था जिसके प्रकाश की लौ गाँव-गाँव , गली - गली तक पहुँच गयी थी । पूरे देश की तस्वीर बदल देने को लालायित बच्चा - बच्चा कैंडिल - मार्च कर रहा था। सारे अखबार और मीडिया में बस एक यही खबर दिखती थी। दैनिक जनसंदेश टाइम्स अखबार ने तो अन्ना आन्दोलन को लेकर महीने भर बड़े - बडे लेखों की एक श्रृंखला छापी थी। मुद्राराक्षस ने पहले ही दिन पहले ही लेख में भविष्यवाणी कर दी थी- यह एक छलावा है और अन्ना हजारे को ईमानदारी के नाम पर भ्रम फैलाने के जुर्म में जेल में डाल देना चाहिए। उस समय तमाम लेखक उनसे सहमत नही थे। उनमें एक मै भी था।


आज मुद्रा भाई का वह एकला -कथन सत्य बनकर सामने खडा़ है। उन्होने अनुमान लगा लिया था कि अन्ना हजारे जैसा व्यक्ति जिस तरह की टीम लेकर दूसरा गाँधी या जयप्रकाश नारायण बनने चला है वह एक विभ्रम के सिवा और कुछ नहीं। अन्ना के एक तरफ तब किरन बेदी होती थीं और दूसरी तरफ केजरीवाल। ईमानदारी का चोला ओढे ये दोनो अन्ना का शिकार करके सत्ता तक पहुँचने का ख्वाब देख रहे थे। केजरीवाल ने उनकी एक न सुनी और कहा - गंदगी साफ करनी है तो गंदगी में उतरना भी होगा। इस तरह आम आदमी पार्टी - झाड़ू चुनाव लेकर मैदान में आ गयी। दिल्ली में जन्मी पार्टी , दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की ठान ली । साथ ही यह भी मन ही मन ख्वाब बुनने लगी कि यदि दिल्ली हमारे हाथ में आ गयी तो वह दिन दूर नहीं होगा जब देश के अन्य राज्यों के साथ - साथ प्रधानमंत्री की कुर्सी भी अपनी होगी।


अन्ततः 26 नवम्बर 2012 को भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगाँठ पर जंतर - मंतर दिल्ली में ''आम आदमी पार्टी'' की स्थापना हो गयी । दिसम्बर 2013 में पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने मैदान में उतरी । पार्टी 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस की मदद से दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब हो गयी। 28 दिसम्बर 2013 को अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये । केजरीवाल की दूरदृष्टि काम कर रही थी। 49 दिन सत्ता पर काबिज रहकर वह आगे की योजना बनाने में जुट गये। उसी क्रम में 14 फरवरी 2014 को वह ' जनलोकपाल ' विधेयक पेश किये जिसे कांग्रेस का समर्थन नही मिला। जिसे वह पहले से जानते थे। और उन्हे त्यागपत्र देने का मौका मिल गया। दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।


2014 के लोकसभा में उन्होंने लगभग हर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार उतार दिये। अरविद केजरीवाल खुद नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ताल ठोंक दिये तो कुमार विश्वास राहुल गाँधी से लड़ने अमेठी पहुँच गये। नतीजा यह हुआ कि यह दो बड़े नेता ही नहीं सभी उम्मीदवार चारों खाने चित्त हो गये । केवल पंजाब की 4 सीटें संगरूर , फरीदकोट , फतेहगढ़ साहिब और पटियाला सीट ही जीत पाये। इससे मतदाताओं का ही नहीं पार्टी कार्यकताओं को भी निराशा हाथ लगी। आम आदमी पार्टी के भविष्य पर पड़ने वाला यह पहला नकारात्मक प्रभाव था। लेकिन दिल्ली की जनता को यह विश्वास दिलाने में वह कामयाब रहे कि यदि वह पूर्ण बहुमत में आ गये तो सच्चाई और ईमानदारी का उदाहरण पेश करते हुए जनता के हित के ही कार्य करेंगे । जनता ने उन पर विश्वास किया और 70 में से 65 सीटों पर उन्हे जीत हासिल हुई । फरवरी 2015 में वह फिर दिल्ली में सरकार बना लिये । इस दरम्यान उनके कार्य की तो कोई खास चर्चा नहीं हुई लेकिन कारनामे सुर्ख़ियों में रहे। उनकी राष्ट्रीय कारिणी के दो बड़े नेता योगेन्द्र यादव और शाजिया इल्मी अनुशासनहीनता के आरोप में निकाले गये। पार्टी के स्तम्भ माने जाने वाले प्रशान्त भूषण और प्रो 0 आनन्द कुमार को भी बाहर रास्ता देखना पड़ा। इस सब का परिणाम यह हुआ कि पार्टी पंजाब और गोवा केे विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गयी । दिल्ली की एम सी डी भी हाथ से निकल गयी । जिसके लिए दोष वह अपने क्रिया कलाप को न देकर ईवीएम मशीन को देते रहे।


पार्टी बनाने से लेकर आज तक अरविन्द केजरीवाल ने कितना झूठ बोला है और उनके विधायक और मंत्री भष्टाचार में कितना लिप्त रहे हैं इसका आँकड़ा तो नहीं प्रस्तुत किया जा सकता। कुछ बानगी के तौर पर पेश है - स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन मनी लान्ड्री में फँसे तो , संदीप कुमार ब्लातकार में गिरफतार किये गये , विधायक अमानतुल्ला पर वक्फ बोर्ड में अनियमितता के आरोप लगे , मंत्री सोमनाथ पर अपनी पत्नी से मारपीट का आरोप , मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर पर फर्जी डिग्री का आरोप, आसिम अहमद खान घूस के आरोप में बर्खास्त । विधायक सहीराम के खिलाफ मारपीट का गंभीर आरोप। कार्यकारिणी सदस्य संजय सिंह ने विधायक देविंदर सहरावत पर मानहानि का केस दर्ज किया और अब दो करोड़ घूस लेने के नाम पर खुद केजरीवाल कटघरे में हैं।
डॉ डी एम मिश्र कवि व साहित्‍यकार

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