
पचास साल पहले सांपनाथ ने डसा फिर नागनाथ ने, क्या है इसका रहस्य?

अक्सर हम लोगो की यादाश्त को लेकर देश के एक बहुत बड़े वर्ग ने इस धारणा को प्रचारित प्रसारित किया हुआ हैं कि हम पुरानी बातो को याद नहीं रखते और न ही पुरानी घटनाओ को आधार बना कर हम व्यवहार करते हैं। हमारी इस यादास्त की ही वजह से हमें हर बार कोई न कोई आकर मुर्ख बना कर चला जाता हैं। होता वही हैं जो पहले से होता आ रहा हैं बस अंतर इतना ही हैं कि पचास साल पहले सांपनाथ हमें डस गया था और बाद में हमें नागनाथ ने डस लिया।
आपके पास5 साल में एक मौका आता हैं उस समय भी आपके पास कोई विकल्प नहीं होता सिवाय सांपनाथ या नागनाथ में से किसी एक को चुनना। स्वाभाविक हैं जब कोई सा एक नाथ चुन कर जायेगा तो वो भी वही करेगा जो पहले वाले नाथ ने किया था। मगर वास्तविकता यह हैं कि आज से कुछ वर्ष पूर्व तक संवाद एक तरफा था। जिनका देश की सत्ता पर कब्ज़ा था प्रचार प्रसार के माध्यमों पर अधिपत्य था उन्होंने अपनी बात तो देश की जनता तक पहुंचा दी मगर उस पर होने वाली प्रतिक्रिया को कोई मंच नहीं मिला था इसलिये विरोध होते हुये भी उस विरोध की असमय मृत्यु हो गयी। देश में आपातकाल के बाद बहुत उमींदो से नई सरकार बनायीं थी मगर आज उसको लेकर बहुत हल्की फुल्की बाते ही देश के नौजवानो को पता होंगी यह भी नहीं कहा जा सकता कि वी पी सिंह के नेतृत्व में बनी सरकार क्यों एक बार फिर से असफल हुयी जबकि दोनों ही बार कांग्रेस ही हारने वाला दल था और दोनों ही बार सत्ता में काबिज़ होने वाले व्यक्ति कांग्रेस के विद्रोही ही थे जिन्होंने कांग्रेस के एक खास परिवार के नेतृत्व की तानाशाही और भ्र्ष्टाचार से तंग आकर के अलग रास्ता चुना था।
जून का महीना हैं और भारत की राजनीती की बहुत सारी महत्वपूर्ण घटनाये इसी महीने में घटित भी हुयी हैं। कोशिश रहेगी की उन सभी पुरानी घटनाओ में से कुछ चुनिंदा घटनाओ को सिलसिलेवार आपके सामने लाया जाया। फिलहाल केजरीवाल का कांग्रेस से क्या सम्बन्ध हैं यह एक रहस्य हैं और शायद हमेशा ही रहेगा। केजरीवाल के साथ दिग्विजय सिंह से लेकर मणिशंकर अय्यर तक की क्या भूमिका हैं यह भी खोजी पत्रकारिता के लिये एक विषय हो सकती हैं।
लेखक नवीन कुमार शर्मा वरिष्ठ पत्रकार