

अपने माता पिता का इकलौता बेटा मात्र 26 वर्ष की उम्र में इस देश के लिए शहीद हो गया, क्या गुजर रही होगी उस माँ पर जिसकी आंखों का तारा था, क्या गुजर रही होगी उस बाप पर जिसका बुढ़ापे का सहारा था, क्या गुजरी होगी उस बहन पर जिसकी अभी 14 दिन पहले शादी हुई है.
लेकिन अगर नहीं कुछ होता है तो सिर्फ इस देश के नेताओं पर क्या निंदा से काम नहीं चलेगा. दोस्त हम शर्मिंदा है हम कुछ कर नही सकते तुम्हारे लिए और जिन्हें करना है वो प्रधानमंत्री हिमाचल में चुनाव की हवा बना रहे हैं. उम्मीद भी क्या की जा सकती है ऐसे नामर्द देश राजनेताओं से साहनुभूति के नाम पर 10-20 लाख की राशि का ऐलान कर देंगे बस काम खत्म ज्यादा कुछ नही कहूँगा.
2012 वाले मोदी और आज के मोदी में कुछ बदलाव नजर आता है क्या? उस समय तो पूरी बीजेपी कहती थी कि इस सब मसलों का हल हम तीन दिन में कर देंगे. अब तो तीन साल हो गई. एक सर के बदले में कई सर लाने वाले पीएम मोदी लगातार जवानों की मौत पर निंदा से काम चला रहे है. अब क्या लिखूं मेरी कलम आगे नहीं लिख पा रही है में भी एक सैनिक का बेटा हूँ कारगिल की लड़ाई लडी है मेरे बाप ने. क्या करूं इस देश के दुर्भाग्य को. केवल सत्ता के लिए कुछ भी कहलवा लो. देश केवल चुनावी मोड़ में रहना चाहता है. मुखिया को केवल जीत चाहिए और सेना की जान नहीं.