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सरकार क्यों नहीं दे रही कानून की शिक्षा बच्चों को

सरकार क्यों नहीं दे रही कानून की शिक्षा बच्चों को
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ब्यूरो चीफ पंजाब (H M TRIKHA): भारत में मुगलों और अंग्रेजों ने सालों साल शासन किया, भारत के लोगों पर अत्याचार कर उन्हें सदियों लताड़ा जाता रहा है। विदेशी शासकों ने हमारे ही देश में घुस कर अय्याशी की, अव्यवस्था एवं अराजकता फैलाई, लंबे संघर्ष के बाद भारत आजाद हुआ।

आजादी के बाद देश की जनता संमझने लगी की अब लोगो को चैन के साथ स्वतंत्र भारत में जिंदगी जीने के मौके मिलेंगे, 69 साल देश को आजाद हुए बीत रहें हैं लेकिन देश के अंदर आज भी अव्यवस्था, अस्थिरता व अराजकता का माहौल है, कानून व्यवस्था चरमरा रही है, देश में जुर्म का ग्राफ है की घटने की बजाय लगातार बढ़ रहा है। अदालतें व थाने मुकदमों से भरे पड़े हैं।

लूट खूसट ,कत्ल, बलात्कार, चोरी, डकैती, लड़ाई झग़डे, दहेज, अपहरण, उपभोक्तओं के साथ ठगी, संम्पति के झग़डे, भ्र्ष्टाचार, रिष्वत खोरी, मिलावट खोरी तमाम जुर्म आज भारत में आम हैं कई राज्यों की स्थिति जंगल राज सी है। लगता है की सरकार के पास जुर्म को रोकने, काबू पाने एवंम बढ़ रहे जुर्म के ग्राफ को नीचे लाने का कोई समाधान है ही नहीं। क्या कारण है की देश में जुर्म की बाढ़ सी आ गई लगती है?

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जो उभर कर सामने आ रहा है वो है देश के बच्चों को कानून की शिक्षा मुहैया ना करवाया जाना, उन्हें क़ानूनी शिक्षा के मामले में अनपढ़ बना देना, देश में क़ानूनी शिक्षा के प्रचार प्रसार का आभाव होने के चलते देश का एक बहुत बड़ा वर्ग कानूनों से अनभिज्ञ है ज्यादातर लोगों को कानूनों की जानकारियां न हो पाने के कारण वो जाने अनजाने में कानूनों को तोड़ते हैं व गुनाह भी कर बैठते हैं। फिर क़ानूनी पचड़ों में भी पड़ते हैं अपने देश में न तो बच्चों को स्कूलों कालेजों में कानून की शिक्षा दी जाती है और ना ही आम जनता को कानूनों की जानकारियां देने व जागरूक करने के लिए सरकार कानूनों से संबधित सेमिनारों के आयोजन शहर शहर गांव गांव करती है।

जहां तक देश के बच्चों को स्कूलों कालेजों में कानून की शिक्षा दे कर शिक्षित करने का ताल्लुक है देश की सरकारों ने एक सुनियोजित सरकारी षड्यंत्र रच कर क़ानूनी शिक्षा को जान बूझ कर शिक्षा के क्षेत्र में से ही गायब कर दिया। लगता है कानून की शिक्षा ग्रहण करते समय ही यानि लॉ की डिग्री लेने वालों भाव वकीलों को ही अभी तक क़ानूनी शिक्षा दी जा रही है यानि ये क़ानूनी ज्ञान सिर्फ वकीलों का ही ज्ञान बन कर रह गया है यां पुलिस वालों का जब की रोजमर्रा की जिंदगी में पग पग पर कानून देश के तमाम नागरिकों के ऊपर समान रूप से लागू होता है और लोगो को यदा कदा कानूनों से दो चार भी होना पड़ता है।

आज भी भारत के स्कूलों में फिजिक्स केमिस्ट्री, बायोलॉजी, गणित, इतिहास समेत अन्य विषय तो पढ़ाए जा रहें है ताकि बच्चों को आगे जा कर डाकटरी की पढ़ाई,इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई करने में मदद मिलेगी, वो अपनी पढ़ाई के क्षेत्र में पेशेवर डाक़्टर इंजीनियर बनेंगे। हैरानी जनक है की जिन कानूनों की देश के आम नागरिकों को जानकारियां होनी चाहिए वो कानून की किताबें भारत में छठी कक्षा से लेकर +2 की क्लासों तक और फिर कालेजों में दूर दूर तक कहीं दिखाई ही नहीं देती कानून की किताबें पेशेवर वकील बनने में भी काम आएँगी ये सोच कर भी अभी तक शिक्षा में शामिल नहीं की गई यां यूँ कहें की सरकारों ने बच्चों को क़ानूनी शिक्षा से वंचित रखने के लिए ही कानून की पढ़ाई न पढ़ाने का फैसला कर लिया तो गलत नहीं होगा। कियूंकि अगर छोटी उम्र के बच्चे स्कूलों में ही कानून की शिक्षा ग्रहण कर लेंगे तो उन्हें ये पता चल जायेगा की कानून होता क्या है? कौन सा जुर्म करने से कौन सी सजा हो जाएगी।

स्कूलों कालेजों के बच्चों को अपने तमाम क़ानूनी अधिकारों का तो पता चल ही जायेगा, कानून की शिक्षा ग्रहण कर लेने से कानून का खौफ भी हरेक नागरिक के मन में घर कर जायेगा जिससे वो गुनाह करने से तौबा करेंगे भारत के नागरिक जो की कानून की जानकारी न हो पाने के कारण रोज़ाना हजारों की तादाद में थानों कोर्ट व कचहरियों के चककर काटने को मजबूर हैं कानून जान लेने के बाद क़ानूनी पचड़ों व उलझनों में फसने से भी कन्नी कतराएंगे कानून का खौफ खाते लोग अपराध करने से खुद तो बचेंगे ही दूसरों को भी कानून का भय दिखाते अपराध मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करते नजर आएं कोई शक नहीं।

क़ानूनी शिक्षा देश में जुर्म का बढ़ता ग्राफ रोकने में भी सहायक सिद्ध होगी संम्पति का अधिकार ,उपभोक्ता कानून, दहेज, व्याभिचार, लूट चोरी, डकैती, ठगी, जुआ, नशा, बलात्कार, किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचना, जख्मी करना, मोटर वाहन एक्ट , टैक्स चोरी व कई संगीन अपराधों में दण्ड के तमाम प्रावधानों समेत भारत का संविधान क्या कहता है। ये जानकारिया तो लोगों को मिलेगी ही वो कानून के जागरूक नागरिक होने के नाते अपने अधिकारों को हासिल करना जान जायेंगे ऐसे में आम जनता को मूर्ख बनाना भ्रष्ट तंत्र के लिए नामुमकिन हो जायेगा।

रिश्वतखोरी भृष्टाचार के विरुद्ध भी कानून पढ़े लोग आवाज बुलंद करेंगे वो हर उस कार्य में ऊँगली भी उठा देंगे जो उन्हें गलत यां कानून मुताबिक होता हुआ दिखाई ना देगा ये स्थिति देश के भ्र्ष्टसत्ताधारियों व देश को गलत दिशा में धकेलने वालों को नागवार गुजरेंगी, कियूंकि देश के कानूनों पर ही तो देश टिका है और जिन कानूनों पर देश टिका है यदि उन कानूनों की भनक ही भारत के आम नागरिकों को लग गई तो देश के चप्पे चप्पे में जो रिष्वतखोरों, भृष्टाचारियों के दल, भ्र्ष्टाचार की दल दल फैला कर लोगो की जेबों पर हाथ साफ कर रहें हैं ऐसे भ्र्ष्ट लोगों की भ्र्ष्ट दुकानों का धंधा बंद होने के आसार पैदा हो सकते हैं।

शायद यही कारण है की भारत में बच्चों को कानून की किताबें पढ़ने से आज भी वंचित ही रखा गया है ताकि भारत के भीतर फैले भरष्ट तंत्र एवंम भरष्ट सत्ताधारियों का गोरख धंधा यूँ ही फलता फूलता रहे, इसलिए जरूरी है की सरकार बच्चों को आई पी सी की मुख्य धारायों, कानून की खतरनाक धारायों, उपभोक्ता कानूनों, मिलावट खोरी, हिन्दू मैरिज एक्ट, संम्पति के कानून, महिलायों के कानून, ट्रैसपासिंग, ट्रैफिक नियम ,और मौलिक अधिकारों समेत गंभीर अपराधों की जानकारियों समेत और भी कानूनों की उचित संमझ शिक्षा के माध्यम से दे।

अब जब की देश के भीतर बीते 69 साल से बच्चों को कानून की शिक्षा से दूर रखा गया है कानूनों की अनभिज्ञता भी जुर्म का ग्राफ बड़ा रही है तो देश के बच्चों को क़ानूनी शिक्षा देकर बढ़ रहे जुर्म के ग्राफ को काबू किया जा सकता है तो हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री मोदी जी को चाहिए की वो स्कूलों एवंम कालेजों में पढ़ रहे बच्चों को क़ानूनी शिक्षा की पढाई को तत्काल लागू करवाएं जिससे हमारे देश के हरेक बच्चे को क़ानूनी ज्ञान हासिल हो और वो देश के जागरूक नागरिक बन सकें शिक्षा के जरिए कानून की दी गई तालीम आ रहे वर्षों में देश की हरेक तरह से बिगड़ रही क़ानूनी व्यवस्था को जहां सुधारने में कामयाबी की तरफ मील का पत्थर साबित होगी वहीं जुर्म का ग्राफ भी तेजी से नीचे गिरेगा ऐसी संभावनाओं से कदापि इंकार नहीं किया जा सकता।
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