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PHOTOS : पुरुष-प्रधान समाज से लैंगिक समानता की मांग 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का'

मीडिया से बातचीत में एकता कपूर ने कहा, 'मुझे सीबीएफसी से कोई परेशानी नहीं है। मुझे समस्या पूरे समाज से है, जो इसी चीज के बारे में अपने एक अलग तरीके से बात करता है। इसलिए असल में सीबीएफसी समाज का ही आईना है। अगर हम इसे सीबीएफसी से जोड़ देते हैं तो असल में हम समस्या को कम करके आंकेंगे। यह कहीं अधिक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि अगर आप किसी महिला से बात करें, तो वह आपको हर दिन की कम-से-कम 5-10 घटनाएं ऐसी बता देगी। वह एक माह की ऐसी 5-10घटनाएं गिनवा देगी, जहां उसे एक 'महिला' होने के नाते खुद को अधिक मजबूती से साबित करना पड़ा हो।'
फिल्मकार प्रकाश झा ने कहा, 'यह फिल्म भारत के लोगों की पुरानी विचारधारा के लिए एक झटके की तरह है। सेंसर बोर्ड ने 23फरवरी को यह कहते हुए फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया था कि यह फिल्म कुछ ज्यादा ही महिला केंद्रित है और उनकी फैंटसीज के बारे में बताती है। जबकि, 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' एक छोटे से शहर में रहने वाली चार महिलाओं की कहानी है, जो अपने लिए आजादी की तलाश करने की कोशिश करती हैं।
'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' की कहानी छोटे शहरों की चार महिलाओं पर आधारित है, जो आजादी की तलाश में है, लेकिन समाज इन्हें रोकने की कोशिश में लगा हुआ है। लेकिन, ये चारों भी कम नहीं हैं और जद्दोजहद कर समाज के बंधनों से मुक्त होने की लड़ाई लड़ती रहती हैं। कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, विक्रांत मैसी, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर और शशांक अरोड़ा ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।