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लद्दाख में महाराणा प्रताप, टीपू सुल्तान ने संभाला मोर्चा

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लद्दाख: वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए टीपू सुल्तान, महाराणा प्रताप और औरंगजेब ने मोर्चा संभाल लिया है। ये तीनों भारतीय सेना की आर्म्ड यूनिट की टैंक रेजीमेंट हैं। इस समय लद्दाख में 100 टैंक तैनात हैं।

एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि पूर्व लद्दाख में टैंकों की तैनाती लगभग आठ माह पहले सर्दियों के दौरान ही हो गई थी। ये टैंक शून्य से नीचे हड्डियां जमा देने वाली ठंड में बर्फ से लदी चोटियों में भी पूरी तरह कारगर हैं। लगभग 54 साल बाद लद्दाख में टैंक ऑपरेशनल ड्यूटी पर सक्रिय बनाए गए हैं।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एलएसी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर टैंक तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी अपरिहार्य स्थिति में इनकी मूवमेंट में देरी न हो। उन्होंने कहा कि यहां टैंकों को पहुंचाना और उन्हें आवश्यक स्थानों पर तैनात करना कोई आसान नहीं था।

1962 में भारत-चीन युद्ध के चार दशक बाद तक भारत ने जानबूझकर सीमा के निकट बुनियादी ढांचे का विकास नहीं किया और बॉर्डर की सुरक्षा आईटीबीपी और लद्दाख स्‍काउट्स के सहयोग से कुछ बटालियनों द्वारा की जाती थी। 2005 में इस स्थिति में तब बदलाव आया जब तत्‍कालीन विदेश सचिव श्‍याम सरन ने भारत-चीन बॉर्डर पर तेजी से बुनियादी विकास और क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया।
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