- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
पदोन्नति पर मोदी का बड़ा ऐलान, आरक्षित बर्ग को देदी सौगात
Kamlesh Kapar
5 May 2017 7:59 AM GMT
x
Modi's big announcement on promotion
नई दिल्ली : सरकारी नौकरियों में SC-ST कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के मामले में मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एन्ड ट्रेनिंग (DOPT) के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट PM मोदी के सामने पेश किया गया है जिसमें एससी-एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण का जिक्र किया गया है।
बता दे, की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समान अवसर और समावेशी विकास के लिए एससी-एसटी को पदोन्नति के मामले में आरक्षण की बेहद जरूरत है। मार्च 2016 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीओपीटी को आरक्षण के विरुद्ध आए न्यायिक फैसलों के मामलों को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट बनाने के लिए कहा गया था।
इसमें संवैधानिक बेंच द्वारा 2006 में एम नागराज के मामले का जिक्र भी किया गया था। इस फैसले में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 16(4A) ही जरूरत के मुताबिक एससी-एसटी के कर्मचारियों को आरक्षण देने के लिए राज्य को आरक्षण की आजादी देता है, लेकिन ये अनिवार्य नहीं है।
2006 के फैसले में ये भी कहा गया था कि ये कुछ स्थितियों के आधार पर ही दिया जा सकता है- जिसमें लाभार्थी के लिए पिछड़ापन, प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता और प्रशासनिक दक्षता जैसे कारक शामिल हैं।
वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कई विभागों में एससी-एसटी का 15 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत प्रतिनिधित्व भी नहीं पूरा हो पाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एससी-एसटी आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के महत्वपूर्ण मानकों में अन्य सामाजिक समूहों से पीछे हैं। ऐसे में इस मामले में एक सकारात्मक कार्यवाही की जरूरत है।
मोदी सरकार का ये कदम सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों से मुकाबला करने के लिए है जिसमें SC के आदेशों ने पदोन्नति के मामले में एससी-एसटी को आरक्षण देने के केंद्र और राज्य सरकारों के फैसलों में अड़चन पैदा कर दी है।
Next Story