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अरविन्द पानगडिय़ा का इस्तीफा, मोदी के ये 3 ड्रीम प्रोजेक्ट करेगा कौन पूरा?
Special Coverage News
2 Aug 2017 3:29 AM GMT
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हम तो चले प्रदेश हम परदेशी हो गये, क्या होगा इस काम हम विदेशी हो गये.....
नई दिल्ली: अर्थशास्त्री अरविंद पानगडिय़ा ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना त्यागपत्र प्रधानमंत्री और नीति आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी को भेजकर 31 अगस्त तक पदमुक्त करने का आग्रह किया है।
पानगडिय़ा कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के अपने पद पर फिर सेवा देंगे। अब संभावित दावेदारों में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, योजना के आयोग के पूर्व सदस्य नरेंद्र जाधव और पूर्व नौकरशाह एनके सिंह हैं।
पानगडिय़ा के कार्यकाल में जीएम [ जेनेटिकली मोडिफाइड ] फसलों की सिफारिश की किए जाने से संघ परिवार के सहयोगी संगठन से नाखुशी जता चुके थे। मोदी सरकार ने तत्कालीन योजना आयोग को खत्म कर पहली जनवरी, 2015 को एक प्रस्ताव के माध्यम से नीति आयोग की स्थापना की थी।
क्या इस इस्तीफे के पीछे कोई अहम् बजह तो नहीं क्योंकि इतने विशाल देश की इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से बचकर क्यों निकले पानगड़ीया?
बतौर नीति आयोग उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया पर थी मोदी सरकार के इन गेमचेंजर प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी
1. डिजिटल इंडिया- इंटरनेट पर डेवलपमेंट का खेल
देश से भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए केन्द्र सरकार ने डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम उठाया. कालेधन पर लगाम लगाने और देशभर में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलानकरते हुए अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक संचालित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया. इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भीम आधार प्लैटफॉर्म लांच किया जिसका मकसद देश में छोटे कारोबारियों को कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए प्रोत्साहित करना था. इन कोशिशों के चलते केन्द्र सरकार ने अप्रैल 2017 तक 75 शहरों को कम कैश इस्तेमाल के लिए चिन्हित किया. हालांकि नोटबंदी के बाद देश के कुछ हिस्सों में कैश की किल्लत का मामला भी सामने आया और आर्थिक आंकड़ों में भी नोटबंदी का आंशिक असर देखने को मिला. लेकिन देश और दुनिया के ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने नोटबंदी से लंबी अवधि में फायदा मिलने का दावा किया.
2. कोऑपरेटिव फेडरलिज्म- टीम इंडिया का सपना
केन्द्र सरकार की कोशिश रही कि वह देश में मजबूत राज्यों का निर्माण करे जिससे एक सशक्त भारत बना सकते हैं. इसके लिए केन्द्र सरकार ने पूरे देश को एक कॉमन मार्केट बनाने की दिशा में जीएसटी बिल को पारित कराने में अहम भूमिका निभाई. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने जीएसटी के मुद्दे पर पूरे देश में आम सहमति बनाने में सफलता पाई और सभी राज्यों की सक्रियता से अंतिम फैसला लिया. अब केन्द्र सरकार की कोशिश जुलाई 2017 से इसे प्रभावी करने की है जिसके लिए GST काउंसिल (सभी राज्यों की अहम भूमिका) को मुख्य किरदार के तौर पर रखा गया है. अब माना जा रहा है कि जीएसटी को सफलता के साथ लागू करने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति से बढ़ने का मौका मिलेगा. आर्थिक जानकारों का दावा है कि पूरे देश में जीएसटी पूर्ण रूप से प्रभावी होने के बाद देश को डबल डिजिट की विकास दर भी देखने को मिल सकती है.
3. महिलाओं को क्या मिला?
केन्द्र सरकार ने नीति आयोग के निर्देशों पर बीते तीन साल के दौरान कई अहम योजनाओं को शुरू किया जिससे देशभर में महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में अहम कहा जा सकता है. इन योजनाओं में सबसे अहम केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को स्वच्छ और सुरक्षित कुकिंग के लिए उज्जवला स्कीम के तहत एलपीजी मुहैया कराने की थी. वहीं मोदी सरकार ने जनधन स्कीम के तहत महिलाओं को बैंकिंग की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले ज्यादातर मकानों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर करने का मसौदा सामने रखा है.
हम तो चले प्रदेश हम परदेशी हो गये, क्या होगा इस काम हम विदेशी हो गये.....
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