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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 24 हफ्ते के भ्रूण को दीया गर्भपात की इजाजत
Special Coverage News
25 July 2016 10:29 AM GMT
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए एक महिला को 24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दे दी है। मुंबई की रेप पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट में प्रेगनेंसी एक्ट 1971 को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी।
कोर्ट ने एमटीपी एक्ट की धारा-5 के तहत महिला को यह इजाजत दी। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से गठित सात केईएम मेडिकल कॉलेज की 7 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद लिया गया।कोर्ट ने महिला की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया था। मेडिकल बोर्ड ने सोमवार को अदालत के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है महिला के गर्भ में बच्चे की हालत ठीक नहीं है। अपनी याचिका में दुष्कर्म पीड़िता ने कहा था कि उसके बच्चे के जन्म लेते ही मर जाने की आशंका है। कमेटी ने कहा कि भ्रूण चिकित्सीय असामान्यताओं के साथ पीड़ित है। भ्रूण में न तो खोपड़ी और न ही लीवर है। इसके साथ ही भ्रण की आंत भी शरीर के बाहर से बढ़ रही है। अगर महिला बच्चे को जन्म देती है तो उसकी जान को खतरा है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी में स्वास्थ्य सचिव, नरेश दयाल (पूर्व सचिव, आईसीएमआर) और डॉ. एनके गांगुली शामिल हैं।
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