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राष्ट्रीय
सोनिया गांधी का संघ पर निशाना, कहा- 'कुछ संगठनों ने भारत छोड़ो आंदोलन का किया था विरोध'
Special Coverage News
9 Aug 2017 7:09 AM GMT
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सोनिया गांधी ने कहा कि ऐसा लगता है कि उदारवादी मूल्य खतरे में पड़ रहे हैं, कई बार कानून के राज पर भई गैरकानूनी शक्तियां हावी दिखाई देती हैं...
नई दिल्ली : अगस्त क्रांति के 75 साल पर संसद में चर्चा हो रही है। आज 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह है। इसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। संसद के दोनों सदनों में आज इस पर विशेष चर्चा हो रही है।
इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं सदन में खड़ी होकर इस आंदोलन के बारे में बोल रही हूं। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं संघ पर तंज कसते हुए कहा कि आज जब हम उन शहीदों को नमन कर रहे हैं, जो स्वतंत्रा संग्राम में सबसे अगली कतार में रहे, तब हमें नहीं भूलना चाहिए कि उस दौर में कुछ ऐसे संगठन और व्यक्ति भी थे, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया। इन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदना नहीं रहा।
सोनिया गांधी ने कहा कि ऐसा लगता है कि उदारवादी मूल्य खतरे में पड़ रहे हैं, कई बार कानून के राज पर भई गैरकानूनी शक्तियां हावी दिखाई देती हैं। उन्होंने कहा कि क्या जनतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं हो रही है? भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह याद दिलाता है कि इस विचार को संकीर्ण मानसिकता और संप्रदायवाद का कैदी बनने नहीं दे सकते हैं।
सोनिया ने कहा कि इस आंदोलन में कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने अपनी जान दी। 8 अगस्त 1972 को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस से संकल्प पारित हुआ था और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शपथ ली थी।
उन्होंने कहा कि गांधी जी ने उस दौरान कहा था कि करो या मरो। इन शब्दों ने सभी पूरे देश में जोश भर दिया। जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया, जवाहर लाल नेहरू ने काफी लंबे समय तक जेल में समय बिताया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकुमत ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर गोलियां बरसाईं और राष्ट्रवादी अखबारों पर पांबदी लगाई थी। सत्याग्रहियों को डराया और धमकाया गया, महिलाओं का उत्पीड़न किया गया।
सोनिया ने कहा कि आंदोलन के दौरान लोगों को बर्फ की सिल्लियों पर नंगा कर जुल्म ढाए गए, उसके बावजूद भी लोगों ने आंदोलन में पीछे नहीं हटे।
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