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महिला विश्व कप फाइनल: आज लार्ड्स में कपिल का इतिहास दोहराने उतरेंगी भारत की बेटियां
Special Coverage News
23 July 2017 5:20 AM GMT
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वर्ष 1983 में कपिल देव की कप्तानी में जिस तरह पुरूष टीम ने ICC विश्वकप खिताब जीत इतिहास रचा था उसे लार्ड्स के इसी मैदान पर दोहराने से अब देश की महिला क्रिकेट टीम बस एक कदम की दूरी पर है।
लंदन: वर्ष 1983 में कपिल देव की कप्तानी में जिस तरह पुरूष टीम ने ICC विश्वकप खिताब जीत इतिहास रचा था उसे लार्ड्स के इसी मैदान पर दोहराने से अब देश की महिला क्रिकेट टीम बस एक कदम की दूरी पर है। साथ ही महिला क्रिकेट विश्वकप में अपना वो इतिहास भी बदलने को बेकरार हैं, जो 2005 विश्वकप के फाइनल में उनकी हार से जुड़ा है।
मिताली राज की कप्तानी वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने मात्र दूसरी ही बार आईसीसी विश्वकप के फाइनल में प्रवेश किया है जहां उसके सामने तीन बार की चैंपियन इंग्लैंड की चुनौती होगी। भारत ने वर्ष 2005 में पहली बार विश्वकप फाइनल में जगह बनाई थी जहां वह ऑस्ट्रेलिया से हारकर उपविजेता रही थी। महिला टीम का यह टूर्नामेंट में सबसे अच्छा प्रदर्शन था लेकिन इस बार उससे एक कदम आगे बढ़कर पहली बार खिताब हासिल कर भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम युग की शुरूआत करने की अपेक्षा है।
अब मिताली पर क्रिकेट के 'मक्का' लार्ड्स मैदान पर पहली बार महिला टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाने की जिम्मेदारी है। भारतीय महिला टीम ने न सिर्फ पिछले कुछ वर्षों में अपने प्रदर्शन से अपने अलग रास्ते बनाये हैं बल्कि मौजूदा टूर्नामेंट में भी वह शुरूआत से लाजवाब प्रदर्शन की बदौलत शीर्ष टीमों में शुमार रही। वनडे में सर्वाधिक विकेट का रिकार्ड अपने नाम रखने वाली झूलन भी इस बार अपने आखिरी विश्वकप को यादगार बनाने के लक्ष्य के साथ उतरेंगी। झूलन ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ आठ ओवर में केवल 35 रन देकर दो विकेट निकाले थे और विपक्षी टीम की धाकड़ बल्लेबाजों को भी अपनी गेंदों से रन बनाने के लिए कोई जगह नहीं दी।
वही बल्ले से मिताली का कोई जवाब नहीं है और वह आठ मैचों में 392 रन बनाकर टूर्नामेंट की दूसरी सर्वश्रेष्ठ स्कोरर हैं। हरमनप्रीत सात मैचों में 308 रन और राउत (295) रन टीम की सबसे उपयोगी खिलाड़ी हैं। आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने वनडे का तीसरा शतक जडऩे वाली हरमन के 115 गेंदों में 20 चौके और सात छक्कों की मदद से नाबाद 171 रन की अविश्वसनीय पारी के बाद उनकी अहमियत काफी बढ़ गई है और खिताबी मुकाबले में भी उनपर इसी लय में खेलना होगा। साथ ही उनके पास वनडे में अपने 2000 रन पूरे करने का भी मौका रहेगा।
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