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माँ चिल्लाती रही पर नहीं माने पीएम मोदी ने बना दिया बेटी को मंत्री
अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में नया चेहरा हैं। उन्हें पांच जुलाई को राज्य मंत्री की शपथ दिलाई गई। वह युवा हैं। सांसद हैं। महत्वाकांक्षी हैं। बीजेपी को शायद उनमें बड़ी संभावना दिखी है। खास कर यूपी चुनाव के संदर्भ में। बीजेपी मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया को भाजपा में लेकर ओबीसी चेहर के रूप में यूपी में प्रोजेक्ट कर सकती है।
लेकिन, वह खुद पारिवारिक झगड़े में फंसी है। झगड़ा भी इस हद तक है कि अनुप्रिया पटेल को उन्हीं के अपना दल ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। ऐसे में वह भाजपा के लिए कितना फायदेमंद हो पाएंगी, यह वक्त ही बता पाएगा।
मई में अपना दल में पारिवारिक विवादों के चलते अनुप्रिया पटेल को पार्टी कमान ने बाहर कर दिया था। अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल ने मीटिंग की और अनुप्रिया को पार्टी से निकाले जाने का एलान किया। इसके पहले से ही पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई थी। इस घटना के बाद तो यह बंटवारा और मजबूत हो गया है। कई नेता खुल कर कृष्णा तो कुछ नेता अनुप्रिया के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।
अनुप्रिया भले ही पहली बार मंत्री बनी हैं, पर राजनीति में वह एकदम नई नहीं हैं। मोदी लहर में जीत कर मिर्जापुर से संसद पहुंचने से पहले वह विधायक रह चुकी हैं। वह वाराणसी की रोहनिया सीट से विधायक थीं। सांसद बनने के बाद से मां के साथ उनकी अदावत बढ़ती ही चली गई। मां ने उन पर सियासी साजिश रचने और धोखाधड़ी कर उनके (राष्ट्रीय अध्यक्ष के) सभी अधिकार खुद हथिया लेने का आरोप भी लगाया है।