

शिवानंद गिरी
पटना उद्योग धंधों की स्थापना के लिए बिहार में विशेष राज्य का दर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी का शोर तो बहुत सुनाई दिया लेकिन इन सब के इतर नेपाल के सीमावर्ती इलाके में बिहार का एक गांव ऐसा भी है जो बिना किसी सरकारी संरक्षण और प्रोत्साहन के उद्योग-धंधों वाले गांव के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. कमाई इतनी कि इस गांव का टर्नओवर 100 करोड़ से ऊपर का हो चुका है. छोटे से गांव में 90 उद्योग लगाए जा चुके हैं और जिन इलाकों से मजदूरों के पलायन की खबरें g थी आज उसी इलाके में निर्मित मशीनें बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में बिक्री के लिए भेजी जा रही हैं. हम बात कर रहे हैं शीतलपुर नाम के एक गांव की. बिहार और नेपाल की सीमा पर स्थित रक्सौल जिले के इस गांव में 37 साल पहले शुरु हुई छोटी मुहिम क्रांति का शक्ल ले चुकी है. बेरोजगारी के लिए चर्चित बिहार में इस गांव के हर युवक के पास रोजगार है तथा एक मजदूर की प्रेरणा से अब तक 90 उद्योग लगाए जा चुके हैं.




