

माजिद अली खान, राजनीतिक संपादक
पटना में आज गाँधी मैदान में लोगो का सैलाब एक बात की गवाही दे रहा था की देश में फिर एक बार जनता की बात होगी मन की बात नहीं होगी, जनता की ताक़त ही आखिरी ताक़त होगी और किसी सूरत में भी सी बी आई की ताक़त के आगे झुका नहीं जायेगा. राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने समूचे विपक्ष को एक करने की कोशिशों की शुरुआत आज पटना से एक ऐतिहासिक रैली करके की. लालू यादव की कोशिशों का नतीजा था की रैली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के अलावा जनता दल संयुक्त के बाग़ी नेता शरद यादव, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रैली में शामिल हुए. देश की मज़बूत पश्चिमी बंगाल की ब्राह्मण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रैली में शामिल हो कर विपक्ष को और अधिक मज़बूत किया.
जहाँ एक और बिहार में पानी की बाढ़ आयी है इसी तरह पटना में लोगो की बाढ़ इसलिए आयी है की वह देश की राजनीति की दिशा को बदलने का आग़ाज़ कर दें. हालाँकि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती रैली में शामिल नहीं हुई और सीपीआई की नुमाइंदगी रैली में नहीं हो पायी. जिस प्रकार रैली में लालू और तेजस्वी और अखिलेश ने जमकर भाजपा और नीतीश की धज्जियाँ उधेड़ी इससे ये साफ़ हो गया की देश में कुछ लोग आज भी सीबीआई से नहीं डरेंगे और भारत विपक्षहीन भारत का भारतीय जनता पार्टी का जुमला सिर्फ एक जुमला ही रहेगा.
तेजस्वी ने बहुत ही जोशीले अंदाज़ में भाजपा की देश को टेडने वाली और लोगो में नफरत फैलाने वाली पार्टी करार दिया, जिन तेवरों के साथ लालू और तेजस्वी और अखिलेश ने देश की जनता से दिल्ली के तख्त को बदलने की अपील की इससे राजनीति की दिशा बदलने की उम्मीद जागने लगी है. अब तक जो एक बात कही जा रही थी की देश में मोदी का कोई विकल्प नहीं लेकिन आज इन युवाओ के भाषण सुनकर लोगो को ये अहसास हो गया की अभी देश का नेतृत्व को बदलने के लिए बहुत से विकल्प अभी मौजूद हैं. हालाँकि राजनीतिक माहिरीन का कहना था की अगर बसपा सुप्रीमो मायावती भी रैली में शामिल हो जाती तो इससे विपक्ष को एक जुट करने की मुहीम को शक्ति मिल जाती. लेकिन अभी मायावती कोई आखरी फैसला करने को तैयार नहीं है.
मायावती का कहना है की महागठबंधन से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उनका तर्क है की पहले टिकटों के बंटवारे पर चर्चा होनी चाहिए क्यों की अक्सर ऐसे गठबंधन टिकटों के बंटवारे के वजह से गठबंधन टूट जाते हैं. महागठबंधन का ख्वाब देखने वाले नेताओ को मायावती मकई इस बात पर गौर करते हुए टिकटों के बंटवारे पर फाइनल कोई फैसला कर लेना चाहिए. महागठबंधन के नेताओ को एक मंच के माध्यम से सारे देश का भ्रमण कर ये सन्देश देना चाहिए की देश में अभी नेतृत्व मौजूद है और देश नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तानाशाही के आगे झुकने वाला नहीं है.




