मोदी की गोदी में नीतीश कुमार, एक तीर से कई शिकार!
Nitish Kumar in Modi's dock, many arrows from one arrow!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी चतुराई से 2019 का कांटा निकाल दिया। महागठबंधन के नेता के तौर पर साफ सुथरी छवि वाले नीतीश 2019 में नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते थे। अब तो वे मोदी की गोदी में जा कर बैठ गए हैं।
लोग इस पुरे प्रकरण को बिहार की राजनीती से जोड़कर देख रहे है। ऐसा बिलकुल नहीं है। मोदी की इमेज गुजरात चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव से जुडी हुई है, अगर विपक्ष को तार तार कर दिया तो 2019 विरोध कौन करेगा।
गुजरात विधानसभा चुनाव में भी मोदी कोई रिश्क नहीं लेना चाहते है। मोदी नीतीश कुमार का गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के लिए भी उपयोग करना चाहते है। और राजनीति में कोई किसी का स्थाई दुश्मन नहीं होता है।
हालाँकि बिहार में उठापटक लालूप्रसाद यादव की जिद के चलते भी हुई है। इस गेम से बिहार में एक बार फिर लगा कि बीजेपी को अपनी ओकात समझ में आ गई कि बिन वैसाखी के हम बिहार में नहीं टिक सकते है।
लेकिन जिस तरह से राजद नेता तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मिलने का समय माँगा और उनके समय 11 बजे देने के बाद अचानक शपथ ग्रहण के समय में तबदीली आना भी अपने आप में एक रहस्य है।
यह बात भी तेजस्वी ने ट्विट पर मिस्टर ईमानदार कहकर ट्विट किया है। बदलते दौर में कुछ भी हो आने वाले चुनाव में जो बिहार में एक नई कब्र खुदी है देखते है इसमें कौनसी पार्टी दफन होगी बीजेपी, जदयू , राजद ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
मोदी ने इस सरकार को अस्थिर कर एक तीर से दो शिकार कर लिए एक तो अपना विकल्प विपक्ष में खत्म कर दिया, दूसरा 2019 को बन रहे महागठवंधन को हिलाकर रख दिया। अब इस मोर्चे पर मिलने वाले दलों में हड़कम्प की हालत रहेगी।
लेकिन आनन फानन में शपथ ग्रहण कार्यक्रम में तब्दीली किस और इशारा करती है?