
इस मोदी पोलिटिक्स को या तो लालू समझ रहे है या बीजेपी का शीर्ष नेत्रत्व!

मोदी को ढंग से मालूम है कि 2019 में उनका सामना करने के लिए विपक्ष ना चाहते हुए भी जदयू के नीतीश कुमार को अपना चेहरा बना सकता है. नीतीश इसी फिराक में थे कि वे चुनाव पूर्व या तो यूपीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाये जाएं या चुनाव बाद जदयू की 15-20 सीटों के आधार पर और लगातार मुख्यमंत्री एवं सुशासन बाबू के नाम पर वे देवेगौड़ा की तरह एक्सिडेंटल प्रधानमंत्री बन जाएं.
बिहार में जदयू और राजद के महागठबंधन में बिहार की कुल 40 सीटों में से इस बार जदयू और राजद ही काबिज होते. भाजपा का डब्बा इस चुनाव में जीरो के साथ गोल होना एकदम तय था. भाजपा ने नीतीश कुमार को निशाने पर लिया और हमला सीधा लालू पर किया.
आज बिहार में सीधी लड़ाई भाजपा बनाम लालू हो चुकी है. नीतीश कुमार वस्तुतः बिहार में लड़ाई से बाहर हो चुके हैं. अब बिहार में जो भी सीट बंटवारा होगा वो लालू और भाजपा के बीच में होगा. दुनिया इस सीबीआई और आयकर विभाग के हमले को लालू पर देख रही है. मगर मैं दिन प्रतिदिन इस हमले से लालू को मजबूत और नीतीश कुमार को कमजोर होते हुए देख रहा हूँ.
नीतीश इस मौके पर लालू के साथ मजबूती से खड़े होकर अपने को मजबूत कर सकते थे मगर कहते हैं ना कि कितना भी शातिर हो इंसान मगर धोखा खा ही जाता है. नीतीश इस बार धोखा खा गए हैं और राजनैतिक परिदृश्य से अब खत्म होने की कगार पर खड़े हैं.
मोदी के लिए राहुल खतरा थे पप्पू बनाकर खत्म कर दिए गए . मोदी के लिए केजरीवाल खतरा थे कजरी बनाकर खत्म कर दिए गए . मोदी के लिए नीतीश कुमार खतरा थे तो उनका वोटर उनसे छीन लिया गया और नीतीश कुमार को खत्म कर दिया गया. ये मोदी पॉलिटिक्स है. इसे या तो सिर्फ लालू समझ रहे हैं या लालू के अलावा भाजपा का शीर्ष नेतृत्व...
लेखक मनीष जगन अग्रवाल के अपने निजी विचार है.




