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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बीच चल रहा कोल्ड वॉर अब खुलकर सामने आ गया है। ज्यादातर मामलों पर सरकार के बचाव में उतरने वाले अरुण जेटली के ट्वीट ने ये साफ कर दिया कि स्वामी के साथ वो आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। जेटली ने ट्वीट किया कि, वित्त मंत्रालय के एक अनुशासित अफसर के खिलाफ अनुचित और झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।
दरअसल जेटली को ये जवाब इसलिए देना पड़ा क्योंकि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहाकर अरविंद सुब्रमण्यम के बाद स्वामी ने आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास पर हमला बोला।
किसी ने ट्विटर पर लिखा कि शक्तिकांता दास ने देश की बहुत सेवा कर ली। अब उन्हें वापस तमिलनाडु भेज देना चाहिए। इस पर स्वामी ने लिखा कि मेरे ख्याल से उनके खिलाफ एक केस लंबित है। जिसमें उन्होंने पी चिदंबरम को महाबलिपुरम में अहम जगहों पर जमीन हथियाने में मदद की थी।
स्वामी का एक के बाद एक वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों पर मोर्चा खोलना जाहिर है। वित्त मंत्री को नागवार गुजरा और वो भी ट्विटर वॉर में कूद पड़े।
इस पूरे मामले के बाद बीजेपी और सरकार के भीतर चर्चा शुरू है कि क्यों सुब्रमण्यम स्वामी वित्त मंत्रालय के बहाने सीधे अरुण जेटली के साथ दो-दो हाथ करने के मूड में हैं।
आखिर जिस मंत्री को सरकार और पार्टी में नंबर 2 माना जाता है उसके खिलाफ बोलने पर भी स्वामी पर पार्टी चुप क्यों है?
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