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आम आदमी पार्टी को लग सकता है एक जोर का झटका!

आम आदमी पार्टी को लग सकता है एक जोर का झटका!
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केजरीवाल की परेशानी सपा की तरह नहीं हो रही खत्म
चुनावों में लगातार हार और पार्टी के अंदर कलह झेल रही आम आदमी पार्टी को जल्‍द ही एक और झटका लग सकता है. 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' मामले में 20 विधायकों पर चुनाव आयोग अपना फैसला सुना सकता है.

इस मामले में आम आदमी पार्टी के खिलाफ याचिका डालने वाले वकील प्रशांत पटेल ने न्‍यूज18 डॉटकॉम को बताया कि चुनाव आयोग ने सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया है. अगले सप्‍ताह या फिर उसके कुछ समय बाद निर्णय आ सकता है.

इससे आप को एक और झटका लग सकता है. मेरे हिसाब से संसदीय सचिव लाभ का पद है. पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त केजे राव का कहना है कि 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' मामले में संसदीय सचिव बने विधायकों की सदस्‍यता जा सकती है. संकेत तो यही कह रहे हैं.

सेंटर फॉर द स्‍टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार कहते हैं 'आप' के जिन 21 विधायकों पर चुनाव आयोग में केस चल रहा है उस पर भी एमसीडी चुनाव में हार का असर पड़ेगा.

क्‍या है मामला

आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इसी साल 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया. राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई. इसके बाद चुनाव आयोग इस पर सुनवाई कर रहा है.

शिकायत में कहा गया था कि यह 'लाभ का पद' है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी.


राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. इसमें संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायर से बाहर रखने का प्रावधान था. अब इस मामले का फैसला चुनाव आयोग को करना है.

इस वजह से जा सकती है सदस्यता

जानकारों का कहना है कि संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(ए) और 191(1)(ए) के अनुसार संसद या फिर विधान सभा का कोई भी सदस्य अगर लाभ के किसी भी पद पर होता है उसकी सदस्यता जा सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है.


हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का बयान है कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई 'आर्थिक लाभ' नहीं मिल रहा.
ओमप्रकाश
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