दोपहर के करीब 12 बजकर कुछ मिनट हुए थे. हम लोग संसद भवन परिसर की लाइब्रेरी बिल्डिंग से मुख्य बिल्डिंग की ओर आ रहे थे. अचानक देखा कि संसद भवन के गेट संख्या चार पर पत्रकारों और फोटोग्राफर की काफी भीड़ थी और वो किसी को घेरे हुए थे.
उत्सुकता के कारण तेज चलते हुए हम भी उसी और पहुंचे. देख कर दंग रह गए कि बीजेपी के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण आडवाणी वहां पर अकेले खड़े थे और उन्हीं को सभी ने घेरा हुआ था. हैरानी इस कारण हुई क्योंकि आडवाणी जी उस गेट से कभी नहीं आते. अचानक उन्हें देखकर काफी हैरानी हुई.
बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी मंगलवार को वेंकैया नायडू के नामांकन के बाद संसद भवन में अकेले घूमते दिखे. पहले तो वह गेट नंबर 4 पर अकेले खड़े रहे, जहां पर अक्सर सांसद और नेता अपनी गाड़ियों का इंतजार करते हैं. कुछ देर वहां इंतजार करने के बाद फिर आडवाणी गेट नंबर चार पर बने मीडिया स्टैंड पर मीडियाकर्मियों के बीच जाकर बैठ गए. आडवाणी को अपने बीच पाकर सब हैरान दिखाई दे रहे थे और खुश भी थे कि आडवाणी जी उनके बीच जाकर आराम से बेंच पर बैठ गए. इस दौरान पुरे 25 मिनट टहलते ही रहे.
अक्सर सुरक्षा घेरे के बीच गाड़ियों के काफिले में संसद भवन पहुंचने वाले लालकृष्ण आडवाणी का गेट नंबर चार पर अकेले खड़े रहना, सबको हैरान कर रहा था. उसके बाद तो सब चौंक गए जब आडवाणी मीडिया स्टैंड में आकर कैमरामैन के साथ बेंच पर बैठ गए. सब लोग उनको अपने बीच पाकर हैरान और खुश भी हुए. कुछ देर के लिए तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर आडवाणी आज मीडिया स्टैंड पर मीडिया वालों के बीच आकर अचानक बिना किसी सुरक्षा के अकेले कैसे आकर बैठ गए.
हर कोई एक-दूसरे का मुंह देखने लगा और फिर जाकर आडवाणी से बात करने की कोशिश की. आडवाणी कुछ बोले नहीं और न हीं किसी सवाल का जवाब दिया, लेकिन सभी कैमरामैन और रिपोर्टर ने मौके का फायदा उठाकर उनके साथ सेल्फी लेनी शुरू कर दी. उसके बाद तुरंत आडवाणी उठे और वहां से करीब सौ मीटर की दूरी तक पैदल चलते हुए गेट नंबर 1 की तरफ आए. वहां कुछ देर वेट करने के बाद फिर उनका काफिला और सुरक्षाकर्मी वहां पहुंचे, इसके बाद आडवाणी वहां से चले गए.
शायद यह पहला मौका है, जब आडवाणी इस तरह संसद परिसर में अकेले घूमते दिखाई दिए हों. अक्सर आडवाणी अपनी सुरक्षा और काफिले के साथ गेट नंबर 6 से अपने संसद भवन के कार्यालय जाते हैं. वहीं पर उनके काफिले की गाड़ियां खड़ी होती हैं. वही से वह आते-जाते हैं. कभी उनको गेट नंबर 4 व 1 नंबर या दूसरे गेटों से संसद भवन में जाते हुए नहीं देखा गया है.
मंगलवार को वेंकैया नायडू के नामांकन भरने के बाद आडवाणी सदन की तरफ जा रहे थे कि इतने में सदन उठ गया और आडवाणी गेट नंबर 4 से नीचे उतर गए. वहां पर कुछ देर उन्होंने इंतजार किया और फिर मीडिया स्टैंड में जाकर अपने काफिले का इंतजार करने लगे.
इस दौरान कई लोग उनके साथ फोटो भी खिंचवाते रहे, लेकिन वो पैदल चलते रहे. एक नंबर गेट के पास भी उनकी गाड़ी का कुछ अता-पता नहीं था. इसी दौरान कुछ पत्रकारों ने उनके लंबे समय के सहयोगी दीपक चोपड़ा को फोन किया. उनसे संपर्क हुआ तो आडवाणी जी के एक नंबर गेट के पास खड़े होने की सूचना दी गई. वो तत्काल वहां पहुंचे.
कुछ मिनटों बाद आडवाणी जी की गाड़ी भी दिखाई दी. वो चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठ कर रवाना हो गए. करीब पच्चीस मिनट तक आडवाणी जी अपनी गाड़ी का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान पत्रकारों ने तो उन्हें घेरा हुआ था लेकिन कोई नेता उनसे नहीं मिला, शायद किसी ने उन्हें देखा भी ना हो. इन पच्चीस मिनट को भूल पाना मुश्किल है. इस दौरान आडवाणी जी ने किसी सवाल का जवाब तो नहीं दिया लेकिन उनके हाथ नमस्कार की मुद्रा में जुड़े रहे.