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रजिस्टर्ड थी बस और कागजात भी सही थे , अब सरकार बताए कौन है दोषी ?

Just registered and papers were correct, now the government has told who is guilty?

रजिस्टर्ड थी बस और कागजात भी सही थे , अब सरकार  बताए कौन है दोषी ?
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अमरनाथ यात्रियों के जत्थे पर आतंकी हमले की देश-दुनिया में निंदा हो रही है. सोमवार शाम हुए इस हमले में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 19 यात्री घायल हो गए. लोग जहां सरकार से जवाबी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से बड़ी खामी सामने आ रही है.
खुफिया एजेंसियां और राज्य सरकार इस घटना के लिए बस मालिक और ड्राइवर पर ही सवाल उठा रहे हैं कि अमरनाथ यात्रा के लिए उसने जरूरी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था और न ही बस सुरक्षा मानकों का पालन कर रही थी.
बस रजिस्टर्ड थी और सभी भक्तों का था रजिस्ट्रेशन
यह बस गुजरात की एक निजी ट्रैवल कंपनी की थी, जिसने इन बातों को सरासर झूठ करार दिया है. ट्रैवल कंपनी के मालिक जवाहर देसाई ने आजतक से बातचीत में कहा कि ड्राइवर के साथ-साथ सारे भक्तों के पास रजिस्ट्रेशन था और ये कागज हमले के बाद बस में ही छूट गए थे. उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों के दावे की पोल खोलते हुए आजतक को सारे दस्तावेज भी दिखाए और कहा कि बगैर रजिस्ट्रेशन बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए कोई जा ही नहीं सकता.
आतंकियों ने दो बार बनाया था बस को निशाना
बता दें कि अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर आतंकियों ने एक बार नहीं बल्कि दो बार हमला किया था. जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकियों के दो गुटों ने ऑटोमैटिक राइफल से बस पर हमला किया.
जम्मू-कश्मीर सरकार की दो पन्नों की रिपोर्ट में लिखा है कि यह बस शाम चार बजकर 40 मिनट पर श्रीनगर से जम्मू के लिए रवाना हुई थी. अनंतनाग के संगम इलाके के पास पहुंचने पर ड्राइवर ने यात्रियों को बताया कि बस का टायर पंक्चर हो गया है, जिसे बदलने में करीब एक घंटा लग गया. इसके बाद बस जब आगे बढ़ी, तो 8:17 बजे खानाबल के पास उस पर आतंकियों ने हमला कर दिया. हालांकि इस दौरान बस ड्राइवर सलीम शेख बिना घबराए हुए बस चलाता रहा. वहीं महज 75 गज आगे पहुंचने पर बस पर आतंकियों के दूसरे गुट ने हमला कर दिया.
बस ड्राइवर की बहादुरी को सलाम
बस ड्राइवर ने तब भी बस नहीं रोकी और यात्रियों को पुलिस नाके तक ले गया. ड्राइवर सलीम शेख की इस बहादुरी की सभी तारीफ कर रहे हैं और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने उन्होंने वीरता पुरस्कार दिलाने का वादा किया है.
बता दें कि 29 जून से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा को लेकर खुफिया विभाग ने तीर्थयात्रियों पर आतंकी हमले को लेकर पहले ही अलर्ट जारी किया था. इसके बाद सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए गए थे. करीब 40 हज़ार सुरक्षाकर्मी यात्रियों की सुरक्षा में लगाए गए थे. हालांकि इसके बावजूद हुए इस आतंकी हमले ने राज्य सरकार और सुरक्षा बलों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
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