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गुलबर्ग सोसाइटी हिंसा मामले में कोर्ट ने 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई
Special Coverage news
17 Jun 2016 6:30 AM GMT
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अहमदाबाद: शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई है। 12 को 7 साल और एक को 10 साल की सजा सुनाई गई है। एसआईटी कोर्ट ने 2 जून को फैसला सुनाया था। स्पेशल सीबीआई जज पीबी देसाई ने गुलबर्ग सोसाइटी मामले में 66 आरोपियों में से 24 को दोषी ठहराया था।
28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कुल 66 आरोपियों में से छह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई। 24 दोषियों में से 11 पर हत्या का आरोप था। कोर्ट ने अपने फैसले में विहिप नेता अतुल वैद्य समेत 13 अन्य आरोपियों को हल्के अपराधों का दोषी ठहराया था।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था, इस मामले में आपराधिक साजिश का कोई सबूत नहीं है और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप हटा दिए थे। कोर्ट ने जिन लोगों को बरी किया, उनमें बीजेपी के मौजूदा कॉर्पोरेटर (पार्षद) बिपिन पटेल, तब के पुलिस इंस्पेक्टर केजी अर्डा और कांग्रेस के पूर्व कॉर्पोरेटर मेघ सिंह चौधरी हैं।
2002 के गुजरात दंगों के ये मामला उन नौ मामलों में से एक है जिसकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने जांच की थी। यह घटना साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में गोधरा स्टेशन के पास आग (27 फरवरी, 2002) लगाए जाने के एक दिन बाद हुई थी।
पूर्व सांसद अहसान जाफरी की वाइफ जाकिया जाफरी ने कहा अभी आधा इंसाफ मिला है। मैं खुश भी हूं और दुखी भी हूं। कोर्ट ने 36 लोगों को छोड़ दिया है। इसके लिए मैं आगे लड़ाई लडूंगी और मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाऊंगी। करीब 15 बाद फैसला आया है। मुझे खुशी है कि 24 दोषी करार दिए गए हैं, लेकिन 36 को छोड़ दिया गया।
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