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बीजेपी का नया शिकार, बुजुर्गो की पेंशन पर चलेगी तलवार
लेखक रविंदर रावत
जैसा की आप जानते हो की वृद्धावस्था पेंशन सम्मान योजना के तहत बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन देने का फैसला सालों पहले लिया गया था ताकि बुढ़ापे में बुजुर्ग किसी पर आश्रित नही रहे तथा उनकी सुखसुविधाओ और सहुलियतों को देखते हुऐ ये घोषणा की गयी थी। जबकि बैंको के धक्के बुर्जुर्ग पहले ही खा रहे है पहले तो भी महीने के शुरू में ही पेंशन मिल जाती थी और अब महीने महीने लंबी लाइन लगाकर के बड़े इंतज़ार के बाद जाकर के नसीब होती है। और अब हरियाणा की बीजेपी सरकार ने सालों से चली आ रही वृद्धावस्था सम्मान पेंशन योजना को लेकर के एक और तुगलकी फरमान जारी किया है फिर बेसक मामला अध्यापकों को जींस पहने का हो या फिर लड़कियों को मोबाइल फ़ोन नही रखने को लेकर हो।
आये दिन बीजेपी की खट्टर सरकार कोई ना कोई तुगलकी फरमान सुनाती रहती है।और अब हरियाणा की बीजेपी सरकार उन लोगो का गला घोंट रही है जो बुढ़ापे में नि:सहाय है , सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में बुजुर्गों को 2000₹ मासिक पेंशन का जिक्र था। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है। सरकार ने एक और तुगलकी फरमान जारी करते हुए कहा की जिस बुजुर्ग के घर में 165 लीटर का शीतलक होगा उसको पेंशन नही दी जायेगी।जिस बुजुर्ग के बेटे की 20000 से ज्यादा मासिक तनख्वाह है उस बुजुर्ग को पेंशन नही मिलेगी। यदि सरकार के इस नजरिये से देखे तो 90% बुजुर्ग पेंशन लेने योग्य नही है। और अब सरकार ने फरमान जारी किया है जन्म प्रमाण पत्र का, की पेंशन के लिए जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक है। जिन बुजुर्ग लोगो ने ब्रिटिश हुकूमत को उखाङ फेका उससे सरकार जन्म प्रमाण पत्र मांग रही है।
सरकार के इस फैसले की निंदा और भर्त्सना करने के लिए हर एक शब्द कम रहेगा लेकिन यह जरुर कहना चाहता हूँ की ये ज़िंदा जिंदगियों की जिजीविषा पर तलवार से कही ज्यादा है। दूसरी तरफ सरकार मंत्रीयो और विधायको हर दिन एक के ऊपर एक सुविधाए देने के लिये लालियत है। यदि इनकी सेवा कम कर दी जाए जो की वास्तव में इसके हकदार है उनकी सेवा की जाए तो अच्छा होगा। अब हरियाणा के लोगो को इन तानाशाहियो की तलवार को तोङना ही होगा।