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नामी मुस्लिम परिवार की बहू का आरोप, हलाला के लिए दबाव डाल रहे हैं ससुर

नामी मुस्लिम परिवार की बहू का आरोप, हलाला के लिए दबाव डाल रहे हैं ससुर
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भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला ने अपने परिवार वालों पर गंभीर आरोप लगाये हैं। इस महिला का कहना है कि उसके ससुराल वाले उसे हलाला के लिए दवाब डाल रहे हैं। ये आरोप लगाने वाली महिला भोपाल के मुख्य मुफ्ती यानी मुफ्ती ए शहर के की बहू शाइस्ता अली है। शाइस्ता अली ने बताया कि उसके पति ने उसे तीन साल पहले तलाक दे दिया है। लेकिन इससे जुड़ा मामला अब भी अदालत में चल रहा है।


शाइस्ता ने अंग्रेजी वेबसाइट द क्विंट को बताया कि उसके ससुर अब्दुल कलाम उसके ऊपर 'निकाल हलाला' करने का दबाव डाल रहे हैं। शाइस्ता का कहना है कि उसके ससुर ने कहा है कि अदालत में चल रहे केस को रफा दफा करने के लिए उसके ससुराल वालों ने पैसे की भी पेशकश की है। शाइस्ता के मुताबिक उसके ससुर ने कहा है कि वो पहले उसका निकाह अपने एक रिश्तेदार से करवा देंगे, कुछ वक्त के बाद वो उसे तलाक दे देगा, फिर शाइस्ता मुफ्ती अब्दुल कलाम के साथ रह सकती है।


शाइस्ता की शादी 5 अगस्त 2010 को भोपाल के मुफ्ती ए शहर के बड़े बेटे मुहम्मद सालेह के साथ हुई। लेकिन कुछ ही महीनों के साथ शाइस्ता के ससुराल वालों ने दहेज की मांग शुरू कर दी और शाइस्ता से अपने घर से 2 लाख रुपये लाने को कहा। शाइस्ता का कहना है कि उसके ससुर उसे पसंद नहीं करते हैं कि क्योंकि उसने अपने पसंद से शादी की थी। तीन साढ़े तीन साल तक शाइस्ता की गृहस्थी जैसे तैसे चलती रही, इस दौरान उसने दो बेटों को जन्म दिया। लेकिन 2014 में सालेह ने अपने पिता के दबाव में आकर शाइस्ता को तलाक दे दिया। इसके अलावा सालेह ने शाइस्ता से मारपीट की और उसे घर से बाहर कर दिया। शाइस्ता कोर्ट गई और सालेह के खिलाफ घरेलू हिंसा और गुजारा भत्ता का मुकदमा की। अदालत ने सालेह को हर महीने 5 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। लेकिन घरेलू हिंसा का मामला अब भी चल रहा है।


इस बीच सालेह ने एक लड़की से निकाह की योजना बनायी, जैसे ही इसकी खबर शाइस्ता को मिली उसने हंगामा कर दिया। शाइस्ता का कहना है कि उनका जिस तरह तलाक हुआ है वो गैर इस्लामिक है। लिहाजा हलाला की गुंजाइश नहीं है। लेकिन शाइस्ता के ससुराल वाले इसी बीच एक ऑफर लेकर आए हैं। वो चाहते हैं कि शाइस्ता इस बीच उनके किसी रिश्तेदार से शादी कर ले और फिर उससे तलाक लेकर वापस सालेह से शादी कर ले। इसके एवज में उसे अदालत में चल रहे घरेलू हिंसा का केस वापस लेना पड़ेगा। शाइस्ता इस जलालत में नहीं जाना चाहती है। लेकिन उसका ससुर अपनी ऊंची रसूख का हवाला देकर उस पर दबाव डाल रहा है। शाइस्ता के ससुर का कहना है कि सियासत और सत्ता में उसकी पहुंच दूर तक है, और उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है।

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