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क्या मंदसौर के किसान कश्मीरी पत्थरबाजों से ज्यादा हिंसक हो गए थे ? जो गोली चलानी पड़ी ?

क्या मंदसौर के किसान कश्मीरी पत्थरबाजों से ज्यादा हिंसक हो गए थे ? जो गोली चलानी पड़ी ?
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कृषि प्रधान देश में किसान आंदोलन के लिए मजबूर क्यों ?
राजनैतिक पार्टियों को चुनावी वादों पर अमल करना चाहिए. या फिर झूठें वादों से किसान को बहकाना नहीं चाहिए. चुनाव में जो बादे किये जाते है उन पर अमल नहीं होता तो असहाय किसान सिवाय मरने के और क्या कर सकता है. क्या मंदसौर के किसान कश्मीरी पत्थरबाजों से ज्यादा हिंसक हो गए थे ? जो गोली चलनी पड़ी ?

कारण जो भी हों केंद्र और प्रदेश सरकारों का दायित्व है कि आधारभूत संरचना को मजबूत करते हुए विकास की बात की जाए तो बेहतर होगा ...आज गन्ना किसान परेशां है लेकिन चीनी मिल मालिकों को कोई परेशानी नहीं है क्योंकि चीनी मिलो में नेताओं की हिस्सेदारी है शायद .


मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन ने आक्रामक रूप ले लिया है. मंदसौर में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने वाहनों में तोड़फोड़ की. प्रदर्शन के हिंसक होने और आग लगाए जाने के आरोपों के बाद हालात संभालने के लिए मौके पर पहुंची सीआरपीएफ की टीम ने मोर्चा संभाला.

पुलिस और किसानोंं के बीच हुए संघर्ष के बाद हुई फायरिंग में चार किसानों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए हैं. सोमवार को रतलाम जिले में किसानों के उग्र आंदोलन तथा ट्रेन की पटरियां उखाड़ने की कोशिश में हुई पुलिस से झड़प में गोली चलने से एक आंदोलनकारी की मौत हो गई थी. इससे बिगड़ी स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए राज्य सरकार ने यह बैन लगाने का फैसला लिया है.


एक बड़े चिंतन की आवश्यकता है और प्रधामंत्री मोदी को मन की बात की जगह एक बार किसान की भी बात करनी चाहिए . लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है मोदी जी बात करने से भी नहीं मानेगा किसान. जब हम देश के किसान को चुनाव के दौरान गन्ना की बात गेंहूँ धान बात में उलझाते है और फिर भूल जाते है आखिर क्यों?

3 वर्ष बीत चुके हैं और जमीन पर अभी हालात बेहतर नहीं हुए हैं 1 वर्ष और है क्योंकि आखिरी वर्ष सरकार की चुनावी तैयारी में चला जाएगा ऐसे में ठोस करने की आवश्यकता है. एक भी भ्रष्ट नेता जेल नहीं गया है . ऐसे में क्या ये मान लिया जाए कि सभी पार्टियों के नेता ईमानदार हैं ?

कृषि प्रधान देश में किसान आंदोलन के लिए मजबूर क्यों ?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह घटना की न्यायिक जांच कराए जाने के आदेश भी कर दिए. आनन फानन में मंत्रीमंडल की आपात बैठक बुलाई गई. क्या इससे मरने वालों के जीवन की वापसी होगी. अब इतनी सवेदनशील दिख रही सरकार पहले से क्यों सोती रही? जब जब किसान को जिस सरकार ने दुखी किया उस सरकार को उखाड़ने का काम भी इन्हीं किसानों ने किया है.
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