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आदर्श घोटाला: 2 पूर्व आर्मी चीफ और कई बड़े सैन्य अफसरों की भूमिका पर सवाल, कार्रवाई की सिफारिश!

Special Coverage News
9 July 2017 5:49 AM GMT
आदर्श घोटाला: 2 पूर्व आर्मी चीफ और कई बड़े सैन्य अफसरों की भूमिका पर सवाल, कार्रवाई की सिफारिश!
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रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय जांच में बहुचर्चित आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में 2 पूर्व आर्मी चीफ और सेना के कई दूसरे बड़े अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं।
मुंबई: रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय जांच में बहुचर्चित आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में 2 पूर्व आर्मी चीफ और सेना के कई दूसरे बड़े अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं। 199 पेज की जांच रिपोर्ट में सरकार से कहा गया है कि पूर्व आर्मी चीफ जनरल एन. सी. विज (2002-2005) और जनरल दीपक कपूर (2007-2010), 3 पूर्व लेफ्टिनेंट जनरलों और 4 मेजर जनरलों के अलावा कई दर्जन दूसरे सैन्य अफसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
रिपोर्ट में जिन अफसरों के नाम हैं उनमें से ज्यादातर को आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (ACHS) में फ्लैट का आवंटन हुआ था। जांच रिपोर्ट में जिन 3 पूर्व लेफ्टिनेंट जनरलों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है वे हैं- जी. एस. सिहोटा, तेजिंदर सिंह और शांतनु चौधरी। जिन मेजर जनरलों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है, वे हैं- ए. आर. कुमार, वी. एस. यादव, टी. के. कौल और आर. के. हूडा।
इन सभी नामों का 2011 में रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई आंतरिक सैन्य जांच में भी जिक्र था, जिसके बारे में तब हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट दी थी। सीबीआई ने जुलाई 2012 में 6 अफसरों (मेजर जनरल ए. आर. कुमार और टी. के. कौल, ब्रिगेडियर टी. के. सिन्हा और एम.एम. वान्चु, कर्नल आर. के. बख्शी और पूर्वी DEO अफसर आर. सी. ठाकुर) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इन अफसरों के अलावा दूसरे अफसरों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बता दे कि 2010 में आदर्श घोटाला सामने आया था। शहीदों की पत्नियों, बच्चों और पूर्व सैनिकों के नाम पर बनने वाले इस हाउसिंग सोसाइटी में शीर्ष सैन्य अफसरों ने नेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलीभगत के जरिए मनमाने तरीके से फ्लैट का आवंटन कराया। इसके लिए सभी तरह के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई। मुंबई हाई कोर्ट के आदेश के बाद रक्षा मंत्रालय ने इस मामले की नए सिरे से उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया। जांच रिपोर्ट में सरकार से दोषी अफसरों के खिलाफ उचिच कार्रवाई की सिफारिश की गई है। हालांकि सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ अब आर्मी ऐक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती क्योंकि उन्हें रिटायर हुए 3 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष स्तर के अफसर रोल मॉडल होते हैं और उन्हें मिसाल कायम करनी चाहिए। लेकिन उनके ही गलत कामों में शामिल होना गंभीर अपराध है। पूरे मामले की जांच पूर्व आईएएस अफसर राजन कटोच और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) रवि ठोगड़े ने की। रिपोर्ट में पूर्व नेवी चीफ ऐडमिरल माधवेंद्र सिंह (2001-2004) और वाइस ऐडमिरल मदनजीत सिंह को भी 'लाभ पाने वालों' में बताया गया है क्योंकि उन्हें भी फ्लैट मिले थे।
हालांकि उन दोनों की घोटाले में कोई भूमिका नहीं थी क्योंकि नेवी को मुंबई में जमीन आवंटन से जुड़ी जिम्मेदारी नहीं है। रिपोर्ट में जनरल विज पर तल्ख टिप्पणियां हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि जनरल विज ने गलत तरीके से जमीन आवंटित करने में मदद की और सभी तरह के गलत काम करने वालों को 'बचाया'। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरल कपूर इस मामले से जुड़े फैसलों के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि आदर्श हाउसिंग सोसाइटी की सदस्यता को स्वीकार करने के लिए जनरल कपूर को सही सलाह नहीं दी गई थी और ऐसा लगा कि उन्होंने जो कुछ भी किया, जानबूझकर किया।
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