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दागी मुख्तार को ना तो दागी दीपक सिंघल को हां क्यों? बताएं मुख्यमंत्री
लखनऊ
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ चन्द्रमोहन ने यूपी के मुख्यमंत्री को प्रमुख सचिव के पद पर तैनात किये गये आईएएस अधिकारी दीपक सिंघल की नियुक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.
माफिया मुख्तार अंसारी की पार्टी के समाजवादी पार्टी में विलय को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने काफी हायतौबा मचाई थी लेकिन अब वही यूपी की नौकरशाही के सबसे दागी अफसरों में से एक दीपक सिंघल को अपना मुख्य सचिव बनाने पर कैसे राजी हो गए? यह वही दीपक सिंघल हैं जिन्हें मुख्यमंत्री ने कुछ महीने पहले कृषि उत्पादन आयुक्त बनाने लायक भी नहीं समझा था लेकिन अचानक चुनाव के नजदीक आते ही इन्हें मुख्य सचिव की अहम कुर्सी पर बिठा दिया।
यह वही दीपक सिंघल हैं जिन्हें प्रमुख सचिव गृह की कुर्सी सौंपने के कुछ ही हफ्ते बाद इनकी नाकामी के चलते मुख्यमंत्री ने इन्हें वापस अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर भेज दिया था। लेकिन अब दीपक सिंघल जैसे अधिकारी में ऐसी क्या खूबी नजर आने लगी कि उन्हें प्रदेश के बहुत सारे ईमानदार अफसरों का मुखिया बना दिया। दीपक सिंघल केंद्र सरकार के खाद्य विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में तैनाती के दौरान घोटाले के आरोपी हैं।
यह मामला सीबीआइ के पास लंबित हैं। जाहिर है इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का विरोधाभासी चेहरा सामने आ गया है। अपनी छवि सुधारने के लिए उन्होंने मुख्तार अंसारी को पार्टी में शामिल न करने का सुनियोजित नाटक किया लेकिन जब भ्रष्टाचार की बात आई तो अपने चाचा श्री शिवपाल सिंह यादव से हाथ मिला लिया। प्रमुख सचिव सिंचाई का पद संभालने वाले दीपक सिंघल शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी है। सिंचाई विभाग में फैले भ्रष्टाचार में दीपक सिंघल और शिवपाल सिंह यादव की जोड़ी लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। हर वर्ष करोड़ों रुपए नहरों की सफाई, बाढ़ के रोकथाम जैसी योजनाओं के नाम पर खर्च दिखाकर उसे हड़पा जा रहा है। अब चुनाव आता देख मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस भ्रष्टाचार में अपनी हिस्सेदारी तय करने के लिए दीपक सिंघल को मुख्य सचिव की कुर्सी सौंप दी है।