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9 साल की लक्ष्मी की 13 बार टूट चुकी है हड्डियां, फिर भी मुस्कान के साथ लड़ रही जिंदगी की जंग!
राजस्थान की रहने वाली लक्ष्मी एक गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी के कारण महज 9 साल की उम्र में 13 बार उसके पांवों की हड्डियां टूट चुकी है।

बाड़मेर: राजस्थान की रहने वाली लक्ष्मी एक गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी के कारण महज 9 साल की उम्र में 13 बार उसके पांवों की हड्डियां टूट चुकी है। उसका परिवार उसे प्यार से गाेद में भी नहीं ले सकता, क्याेंकि उन्हें हमेशा यही डर सताता है कि कहीं उनकी बेटी की हड़्डिया काे नुक्सान न पहुंच जाए। मेडिकल साइंस की भाषा में इस बीमारी को ऑस्टियो जेनेटिक इम्परफेक्टा यानी अस्थि भंगुरता कहा जाता है, जिसमें जरा सा भी जोर लगने पर हड्डियां टूट जाती हैं। यह एक जेनेटिक बीमारी है। इसमें एंजाइम मिसिंग के कारण हड्डियां चटकती है।
मेहनत मजदूरी से घर चलाने वाले शहर के जटियों का वास निवासी कांतिलाल जोशी के घर नौ साल पहले बेटी हुई तो उसने नाम लक्ष्मी रखा। लेकिन एक साल की उम्र में ही उसे बीमारी ने घेर लिया। उसकी पांव की एक हड्डी चटक गई। उपचार करवाया तो राहत मिली, लेकिन वह तीन साल की हुई और बैठने लगी तो फिर कमर से लेकर दोनों पांव की हड्डियां टूटने लगी। मजदूर पिता अस्पतालों में गया लेकिन उपचार के नाम पर कुछ लाभ नहीं हुआ।
बता दे कि लक्ष्मी की हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि वह पैरों पर खड़ा भी नहीं हो सकती। हल्का सा जोर लगा नहीं कि हड्डी चटख जाती है। लक्ष्मी के लिए चलना फिरना छोड़ पांवों को हिलाना भी मुश्किल हो रहा है। हालांकि हड्डियों के टूटने से उसको दर्द नहीं होता है और न ही किसी प्रकार की सूजन आती है। पिता बाड़मेर, जोधपुर, जालौर, सांचोर, गुजरात, जयपुर तक इलाज के लिए जा चुका है। चिकित्सक बस दवाएं देकर भेज देते हैं, लेकिन बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताते।
पिता जब बेटी को लेकर वह पास के सरकारी स्कूल में गया तो वहां दाखिल करने से मना कर दिया। अपनी बीमारी से अनजान लक्ष्मी चंचल है और चेहरे पर हमेशा मासूम मुस्कान नजर आती है। स्कूल में दाखिला नहीं होने पर पूछा तो कहती है, ओ मारसा आने ही नहीं देते। राज्य सरकार की ओर से विकलांग और बीमारी ग्रस्त बच्चों के उपचार की नि:शुल्क व्यवस्था है, लेकिन जब स्कूल में ही दाखिला नहीं मिले तो फिर उसका उपचार कैसे होगा।
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