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आदमी की जान बड़ी होती है या मुनाफा!

आदमी की जान बड़ी होती है या मुनाफा!
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जिस तरह से स्टेन्ट बनाने वाली दो कंपनियो ने अपने नई पीढ़ी के स्टेन्ट बाजार से वापस लेने की घोषणा की है उससे यही लगता है कि दवा कंपनियो के लिए इंसानी जान की कोई कीमत नही है वे सिर्फ अपने मुनाफे के लिए काम करती है चाहे कोई जिये मरे उन्हें क्या

सरकार को चाहिए कि ऐसी घोषणा करने वाली कंपनियो के ओर दूसरे उत्पाद जो भी है उन पर भी पूर्णतया रोक लगा देनी चाहिए और इन कंपनियो को ब्लैकलिस्ट कर इनसे भारत मे काम करने के अधिकार छीन लिए जाने चाहिए क्योंकि ये लोग व्यापारी नही है बल्कि मानवता के हत्यारे है

ओर इनका ये रुख तब है जब कि इनको स्टेन्ट जो आज 29000 में बेच रहे है वो मात्र कुछ हजार का पड़ता है इसीलिए ऐसा नही है कि इनको कोई नुकसान हो रहा है बस सिर्फ दबाव बनाने के लिए इस तरह की कार्यवाही की जा रही है ताकि सरकार झुके ओर इनको अपना मुनाफा बढ़ाने का अवसर मिले , सरकार को इस पर अपना सख्त रुख कायम रखना चाहिए और स्वदेशी कंपनियो को बढ़ावा देना चाहिए उन्हें कुछ विशेष मदद देनी चाहिए ताकि वे भी उस स्तर के स्टेन्ट बना सके और इन कंपनियो की दादागिरी बंद हो

आज चिकित्सा और शिक्षा दो मुख्य व्यापार हो चले है जबकि प्राचीन समय मे ये दोनों ही सेवा के क्षेत्र थे आज दोनों का ही जबरदस्त व्यवसायी करण हो गया है इस पर लगाम लगाना आवश्यक है

देखना है आदमी की जान बड़ी होती है या मुनाफा

विनीत जैन
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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