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47 साल बाद रिटायर्ड आईएएस ने जीता गोल्ड मेडल, पढ़े कैसे

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24 Jun 2016 1:15 PM GMT
47 साल बाद रिटायर्ड आईएएस ने जीता गोल्ड मेडल, पढ़े कैसे
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राजस्थान: कहते हैं देर से मिला न्याय अन्याय के बराबर होता है। लेकिन राजस्थान के 81 साल के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी का मानना है कि न्याय भले देरी से मिला संघर्ष नही छोड़ना चाहिए।

इन्होंने 47 साल की लंबी लड़ाई के बाद 81 साल की उम्र में राजस्थान विश्वविधालय से गोल्ड मेडल जीता है। अपने से 64 साल छोटी राजस्थान विश्वविधालय के कुलपति जेपी सिंघल से गोल्ड मेडल और डिग्री लेते रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अजीत सिंह सिंघवी को इसी बात की धुन 1969 से सवार थी कि मुझे गोल्ड मेडल के अलावा कुछ भी मंजूर नही।

आज से 47 साल पहले 1969 में एलएलबी में इन्होंने परीक्षा दी मगर राजस्थान विश्विधालय ने इन्हें मेरीट में दूसरे स्थान पर चुना। इन्होंने नंबर देने के तरीके के फैसले के खिलाफ मुंशीफ कोर्ट में याचिका दायर कर दिया। इस बीच अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1979 में आईएस भी बन गए।

अजीत सिंह कलेक्टर भले हीं बन गए मगर कोर्ट में पेशियों पर आना नहीं छोड़ा। अब तक 300 पेशियों पर उपस्थित होकर खुद पैरवी करने वाले सिंघवी को हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को 2003 में लताड़ लगाते हुए अजीत सिंघवी को गोल्ड मेडल देने का आदेश दिया मगर मिलते-मिलते 13 साल लग गए और आखिरकार इनकी मेहनत रंग लाई।

गले में गोल्ड मेडल लटकाए और हाथ में डिग्री लिए अजीत सिंघवी कहते हैं कि मुझे खुशी तो है कि मुझे 47 साल बाद आखिरकार मेरा हक मिल गया लेकिन दुख की बात है कि मुझे अपनी मेहनत का फल पाने में 300 पेशियों पर आना पड़ा।
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