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नालंदा महाविहार खंडहर को मिला वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा

बिहारशरीफ: विश्व प्रसिद्ध नालंदा महाविहार के भग्नावशेष को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कर लिया है। गौरलब है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 413 ईस्वी में हुई थी और 780 साल तक यह बौद्ध धर्म, दर्शन, चिकित्सा, गणित, वास्तु, धातु और अतंरिक्ष विज्ञान के अध्ययन का विश्व प्रसिद्ध केंद्र रहा। 1193 में हमलावरों ने इस विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया था।
ऑर्केलियोजिकल विभाग, पटना के डिप्टी सुपरिटेंडिंग व नालंदा म्यूजियम के पुरातत्वविद एमके सक्सेना ने भी इसकी पुष्टि की है। ऑर्कियोलॉजिस्ट आॅफिस ऑफ द जनरल ऑर्कियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ इंडिया केे असिस्टेंट सुपरिटेंडिंग डॉ सुजीत नयन ने कहा कि ऑर्कियोलॉजिक साइट ऑफ नालंदा महाविहार वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हो गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने फेसबुक प्रोफाइल से जारी संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की संयुक्त पहल पर फलस्वरूप 'नालंदा महाविहार के भग्नावशे' को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है।
जैसे ही नालंदा खंडहर के विश्व धरोहर में शामिल होने की खबर मिली। जिले में खुशी की लहर दौड़ गयी। नालंदा खंडहर वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होनेवाला बिहार का दूसरा और भारत का 26वां है। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने अपने 40वें सेशन के दौरान इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल कर लिया है।
यूनेक्सो की संख्या आइकोमॉस के एक्सपर्ट मो मसाया मसूई के नेतृत्व में 26 अगस्त, 2015 को एक जांच दल ने नालंदा खंडहर का निरीक्षण किया था। नालंदा खंडहर से जुड़े व्यक्तियों व समूहों के साथ बैठक कर इसके विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त की थी। 27 अगस्त, 2015 को जांच दल ने खंडहर के आसपास के अन्य पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक स्थलों का भी जायजा लिया था।
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