सपा नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए यदि ....

सपा नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए यदि विकास के प्रचार के लिए अखिलेश को उनके क्षेत्र में रथ यात्रा करनी पड़े – प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव
जबसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह घोषणा की है कि वे सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यों के प्रचार-प्रसार करने के लिए रथ यात्रा निकालेंगे. मैं यह जानता हूँ कि उन्हें यह निर्णय क्यों लेना पड़ा. तमाम पुस्तिकाओं, पम्पलेट छपवा कर बंटवाने के बावजूद इस प्रदेश के नागरिकों को यह पता नही चल पाया कि साफ़-सुथरी छवि के उनके मुख्यमंत्री ने उनके लिए क्या-क्या किये हैं? वे अच्छी तरह जानते हैं कि जिस विकास के मुद्दे पर वे चुनाव लड़ने जा रहे हैं, यदि उसकी जानकारी ही इस प्रदेश की जनता को नही होगी, तो उन्हें वोट क्यों देगा. इस निर्णय के पीछे जो कारण हैं, वह भी साफ़ हैं कि उनके चहेते नेताओं ने सिर्फ गणेश परिक्रमा की, वे क्षेत्र में रहे ही नही. यदि क्षेत्र में गये भी तो जनता के बीच में जाना अपनी तौहीन समझते थे. ठेके और पट्टे की जुगाड़ में ही लगे रहे. पूरे प्रदेश में इसी की प्रतिस्पर्धा है. अखिलेश के बार-बार कहने के बावजूद भी वे न तो अपने क्षेत्रों में गये, और न ही सरकार द्वारा किये जा रहे जनहित के कार्यों के बारे में उन्हें बताया ही. ऐसा नही कि उनका यह सच अखिलेश के कानों तक नही पहुंचा. कहने को तो ग्राम से लेकर जिला पंचायत तक उनके पास नेताओं की एक लम्बी फ़ौज है. हर जिले में एम. एल. सी. हैं. विधायक हैं, मंत्री हैं. संगठन हैं. जो बंदरबाट में लगे हुए हैं. यदि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्त्ता, विधायक, मंत्री इतना भी नही कर सकते हैं, तो इनकी क्या उपयोगिता है.
किन्तु इसका एक उजला पक्ष भी है कि यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रथ लेकर निकलते हैं, तो कार्यकर्ताओं से उनका सीधा संवाद होगा. जनता में आज भी उनके प्रति आस्था है. इससे कोई इंकार नही कर सकता है. चूँकि उन्होंने प्रदेश विकास का काम किया है, उसकी प्रक्रिया से गुजरे हैं, इसलिए जब वे प्रदेश की जनता से घूम – घूम कर बात करेंगे, तो उसका फायदा मिलेगा. मिशन – 2017 को फतह करने में आसानी होगी. जिन क्षेत्रों में चुनाव के समय प्रचार करने नही जा पायेंगे, वहां की जनता को मलाल नही होगा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनके क्षेत्र में नही आये. इससे कार्यकर्ताओं का उत्साह भी जागेगा. गुटबाजी छोड़ कर लोग एक पटल पर आयेंगे. उनके बीच में जो मतभेद हैं, वे दूर होंगे.