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मुरादाबाद जनपद में प्रशासन की लाहपरवाही और स्थानीय सांसद की उदासीनता ने दिव्यांगों के लिए खरीदे गए लाखों रूपये के सामान को कबाड़ बना दिया। मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र के दिव्यांगों के लिए खरीदी गयी ट्राई साइकलों को पिछले एक साल से वितरित नही किया गया। पुलिस अस्पताल के प्रांगण में रखी सैकड़ो साइकिलें जंग खाकर कबाड़ में तब्दील हो गयी और अधिकारी वितरण के लिए लाभार्थियों की सूचि बनाते रह गए।
मुरादाबाद जिला प्रशासन और जिम्मेदार विभाग अब सांसद को साईकिलो के खराब होने के लिए जिम्मेदार ठहरा कर पल्ला झाड़ने की कोशिस कर रहे है। ऐसे में सवाल यह उठता है की आखिर 22 लाख 23 हज़ार रुपये की ट्राई साइकलों को कबाड़ होने से रोकने की कोशिश क्यों नही की गयी और अब दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी।
जिला पुलिस अस्पताल के मैदान में रखी इन ट्राई साइकिलों को एक साल पहले विकलांगो को वितरित करने के लिए खरीदा गया था। 12 सितम्बर 2016 को इन साइकिलों का वितरण स्थानीय भाजपा सांसद द्वारा किया जाना था लेकिन समय ना मिलने के चलते यह कार्यक्रम टाल दिया गया। इसके बाद भारतीय कृतिम अंग निर्माण निगम और स्थानीय सांसद द्वारा बड़े स्तर पर कार्यक्रम कराने की बात कहि गयी और मुरादाबाद के साथ बिजनोर जनपद के लाभार्थियों को भी कार्यक्रम में शामिल करने को कहा गया। एक हजार से ज्यादा लाभार्थियों को लेकर बड़े कार्यक्रम की तैयारी कर ली गयी थी लेकिन फिर कैबिनेट मंत्री को बुलाने को लेकर मामला फंस गया और साइकिले फिर भी नही बट पाई।
जिला विकलांग जन विकास अधिकारी अभय श्रीवास्तव एलिम्को और सांसद की उदासीनता और प्रशासन की लाहपरवाही के बाद जंग खाकर बेकार हो चुकी ट्राई साइकिलों को अब लाभार्थियों को नही वितरित किया जा सकता। कबाड़ हो चुकी ट्राई साइकिलों को वितरित करने के लिये अब आनन फानन में 21 मई को कार्यक्रम रखा गया है लेकिन प्रशासन को अभी भी सांसद का कार्यक्रम नही मिल पाया है।
प्रशासन के अधिकारी भी मानते है की इन साइकिलों को अब वितरित नही किया जा सकता । लाखों रूपये मूल्य की साइकिलों को अब अधिकारी बदलवाने की बात कह रहे है । विकलांग जन कल्याण अधिकारी का दावा है की जो साइकिल सही हो सकती है उनको मरम्मत किया जा सकता है लेकिन ज्यादातर साइकिलों को बदला ही जाएगा। ऐसे में एलिम्को को अब पहली से तैयार साइकिलों को वापस लेकर नई साइकलों को भेजना होगा।
जंग खाकर सैकड़ो ट्राई साइकिलें कबाड़ में तब्दील हो गयी लेकिन जिम्मेदार अधिकारियो के कानों पर ज़ू भी नही रेंगी। लाखों रूपये की जो साइकिल दिव्यांगों को वितरित होनी थी वो उदासीनता के चलते वितरित नही हो सकी। दिव्यांगों का कल्याण सरकार की प्राथमिकता में भले हो लेकिन जिम्मेदार उनके कल्याण से ज्यादा कबाड़ को महत्त्व देते नजर आते है।
रिपोर्ट : सागर रस्तोगी
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