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दलितों के दुःख दर्द की चिंता में बेचारी कुप्पे की तरह फूलती जा रही है

दलितों के दुःख दर्द की चिंता में बेचारी कुप्पे की तरह फूलती  जा रही है
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लेखक राजीव प्रताप सैनी

ये है सो काल्ड दलितों की रहनुमा बहन भी और कुमारी भी ... मायावती जी ... दलितों के दुःख दर्द की चिंता में बेचारी कुप्पे की तरह फूलती जा रही है .. दलित को चांटा भी लगता है तो इसको लगता है कि इसी के गाल पर पड़ा है ..


गुजरात के उना में दलितों की जिस बेंत से पिटाई की गयी उस बेंत के निशान बहन जी की कमर और पिछवाड़े पर है .. उन्होंने खुद कहा कि जब गौ हत्यारे दलित पर बेंत पड़ रही थी तो उनको लग रहा था कि ये उनकी कमर और पिछवाड़े पर पड़ रही है ... बेचारी कितनी चिंता करती है दलितों की ... लेकिन क्या ढाई लाख के डबल बैड पर सोने वाली माया ने कभी उस दलित की रीढ़ के दर्द को महसूस किया जिसकी कमर झिंगला चारपाई में लेट लेट कर तीर कमान जैसी हो गयी .... कभी ना गोरे होने वाले अपने गालो पर गोल्डन ब्लीच और शहनाज के गोल्ड फेसियल कराने वाली मायावती ने क्या कभी गाँव की उस दलित महिला के गालोकी झुर्रियोंको महसूस किया जो कुपोषण , चूल्हे के धुंवे और चिंता के कारण आ गयी .... काजू बादाम के शेक और ताजे विलायती फ्लो के जूस से गरारे करने वाली मायावती जी क्या कभी उस दलित के कष्ट को महसूस किया सुखी रोटी को गले के भीतर उतारने के लिए जिसे पानी का सहारा लेना पड़ता है ... 25 हज़ार के ब्रांडेड सेंडिल पहन कर चलने वाली माया वती जी उस महिला की एड़ियो की बिवाई को भी महसूस किया कभी जो नंगे पैरो सोकर उठाती है और उसी हाल में शाम तक एडिया घिस कर सो जाती है ... हड्डियों को चीरती सर्द हवाओं में मारकीन की महीन साडी को बदन पर लपेटे जगलो और खेतों में लकड़ी और घास छिलती महिलाओं की पीड़ा को भी महसूस करना ...


मगर आप कैसे महसूस करोगे आप तो ac कार में भी पश्मीने का क्रीम कलर का शाल ओढकर सर्दी का आनद लेती है ... अपने खजाने में 111 करोड़ रूपये और अकूत बेनामी सम्पति रखने वाली बहन जी अपने उन भाइयो की भी फ़िक्र करके देखो जो सुबह 10 रूपये के दूध से शाम तक अपना और बच्चों का दूध चाय का इंतज़ाम कर देता है ... बहन जी आप तो गले में हीरो का हार पहनकर हसरत पूरी कर लेती हो मगर कभी गरीब की उस बेटी की जिज्ञासा के बारे में भी सोचा जो बाजार में जाकर 20 रूपये का नकली आर्टिफिसियल भी नही खरीद पाती और मन मसोस कर घर वापस आ जाती है ... बहन जी दलित को वोट बैंक मत मानो उसके खून से खुद को मत सीचो .... उसको भी इंसान मानो .... ये तो आपको दुसरी पार्टियों ने वाक् ओवर देकर दलितों की नेता बना रखा है वर्ना अगर मेरी पार्टी के नेता मेरी बात मानकर अपनी आधी निधि और आधा समय दलितों में लगा देते तो आप बीच मैदान अकेली खड़ी आपा पिटती .... अर्थात विधवा विलाप करती बहन जी ...

लेखक राजीव प्रताप सैनी की अपनी निजी राय है इस राय के लिए स्पेशल कवरेज न्यूज की कोई जिम्मेदारी नहीं है

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