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माया के फूलपुर चुनाव लड़ने से बीजेपी की फूली सांस, केशव मौर्य बुलाये दिल्ली

Special Coverage News PBL
24 July 2017 3:16 PM IST
माया के फूलपुर चुनाव लड़ने से बीजेपी की फूली सांस, केशव मौर्य बुलाये दिल्ली
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केशव को केंद्र सरकार में लेकर भाजपा दे सकती है मायावती को झटका

अरुण पाराशरी

लखनऊ: यूपी की राजनीति में इस्तीफों का दौर शुरू हो चुका है। राज्यसभा से मायावती के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा होने जा रहा है। उनका इस्तीफा संसद की सदस्यता से होगा। वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर पेंच फंसा हुआ है। माना जा रहा है कि भाजपा उन्हें केंद्र की राजनीति में ले सकती है। अगर अगले कुछ दिनों में फूलपुर लोकसभा सीट से उनका इस्तीफा नहीं हुआ तो सरकार और भाजपा संगठन में व्यापक बदलाव संभव है। इनके अलावा विरोधी दलों के कुछ विधायक इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ दल के साथ जा सकते हैं।


राजनीति संभावनाओं का खेल है। मायावती के इस्तीफे के पीछे एक संभावना यह भी दिखाई दे रही है कि वह फूलपुर सीट पर संभावित उप चुनाव में संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार हो सकती है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से सांसद हैं। मायावती यदि संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार बनेंगी तो भाजपा के सामने सीट जीतना बड़ी चुनौती होगा। दो साल बाद लोकसभा के आम चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा सीट हारने का रिस्क नहीं लेना चाहेगी। इसलिए भाजपा फूलपुर सीट का उपचुनाव टाल सकती है।

राष्ट्रपति चुनाव के बाद यह चर्चा तेज़ हो गई कि योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा की सदस्यता छोड़ेंगे। मायावती के राज्यसभा से इस्तीफे के बाद, मायावती के कांग्रेस, सपा और बसपा के साथ संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाएं तेज हैं। सत्ता पक्ष इस वक्त किसी भी पराजय का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। भाजपा हाईकमान केशव मौर्य का इस्तीफा न कराकर एक तीर से कई निशाने साध सकता है। यूपी में सरकार गठन के साथ ही योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच सामंजस्य नहीं बैठ रहा है। कई बार इसको लेकर सरकार और संगठन में असहज स्थिति पैदा हो चुकी है।

भाजपा सूत्रों के अनुसार वेंकैया नायडू के उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मंत्रिमंडल में खाली हुई जगह को उत्तर प्रदेश से भरा जाएगा, जिसके लिए केशव प्रसाद मौर्य का नाम लिया जा रहा है। वैसे भी यदि भाजपा फूलपुर सीट खाली नहीं करती है तो मायावती की मुश्किलें बढ़ जाएंगी, उनके पास अपने बूते राज्यसभा में पहुंचने लायक संख्याबल नहीं है।

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