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बसपा की मुस्लिम नीति से क्या सपा को होगा यूपी में बड़ा फायदा!
बहुजन समाज पार्टी में मुस्लिम चेहरे के नाम से जाने जाने वाले पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. बसपा से जब भी कोई निकाला जाता है तो बात पैसे पर टिक जाती है. इस मामले में हमारे सभी कोर्ट और न्यायाधीश और सरकार चुप क्यों हो जाती है. इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ.
नसीमुद्दीन सिद्दीकी कह रहे है कि हमें पता है कि बसपा में मारने और पीटने और उनके खिलाफ लिखने वालों को धमकाने वाला गेंग है. क्या पिछले समय वर्षों से खुद नसीमुद्दीन इसके हिस्से नहीं थे. लेकिन अब वो पार्टी छोड़ चुके है. जबकि असलियत यह है कि बसपा चीनी घोटाले और मिल बेचने में की गई हेराफेरी की जिम्मेदारी उनकी समझ रही है. यह अंदर खाने की बात है. इसलिए यह विवाद बना. अब सिद्दीकी बता रहे है कि बसपा में दवंगई होती है तो इसके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं?
अब बात मुस्लिम मतों की करते है तो राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा की तरफ गया मुस्लिम एक बार फिर समाजवादी पार्टी की और लौट सकता है. जैसा कि लोंगों को उम्मीद है. इस समय सभी पार्टियाँ मुस्लिम नेताओं से दूरियां बना रही है. कारण है कि क्षेत्रीय पार्टियों का हिन्दू मतदाता उनसे दूर जा रहा है. कल तक जो लोग केवल मुस्लिम मतदाता की बात कहते थे उन्हें आज ये कहना पड़ रहा है कि में भी हिन्दू हूँ. बसपा, सपा न तो मुस्लिम मतों का विखराव रोक पाई और ना ही हिन्दू मत. सबसे बड़ा हार का कारण यही है.
अब मुस्लिम नेताओं में भी यूपी में गिने चुने चेहरे है. कल तक बसपा मुस्लिम और दलित के साथ हिन्दुओं को सबक सिखा रही थी तो हिन्दुओं ने उसे ही सबक सिखा दिया. क्या दलित हिन्दू नहीं है?