Archived

कौन कौन था मायावती की लिस्ट में मरने वाला, जानें पूरा बड़ा खुलासा

कौन कौन था मायावती की लिस्ट में मरने वाला, जानें पूरा बड़ा खुलासा
x
mayawti attack rita and shalabh
बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर किए खुलासे के बाद साफ हो गया है कि पत्रकार शलभ मणि त्रिपाठी और राजनीतिज्ञ रीता बहुगुणा जोशी कथित आपराधिक गिरोह के निशाने पर थे और इस गैंग ने दोनों को निपटाने की साजिश रच ली थी। मायावती सरकार में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में घोटाले को लेकर जेल और जेल के बाहर कई लोगों की हत्या की घटनाओं को भी नसीमुद्दीन के बयान से जोडक़र देखा जा रहा है।


वर्ष 2007 से 2012 के मायावती शासनकाल के दौरान शलभ मणि त्रिपाठी आईबीएन 7 न्यूज चैनल के यूपी हेड थे। उस समय रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हुआ करतीं थीं। यही वह समय था जिसमें रीता बहुगुणा जोशी के सरोजिनी नायडू मार्ग स्थित मकान में आग लगा दी गई थी और शलभ मणि त्रिपाठी पर…पुलिस ने हमला किया था। पुलिस उन्हें गाड़ी में डालकर हजरतगंज थाने ले गई थी। जहां उन्हें फर्जी मुकदमे में जेल भेजने की तैयारी थी। कसूर यह था कि शलभ मणि उस समय एनआरएचएम घोटाले की परतें उधेड़ रहे थे और रीता बहुगुणा ने मुरादाबाद की एक रैली में बलात्कार की घटनाओं लेकर मायावती पर व्यक्तिगत टिप्पणी की थी। इस समय रीता बहुगुणा जोशी भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और शलभ मणि त्रिपाठी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हैं।


नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बयान की रोशनी में देखें कि मायावती अपने विरोधियों से कैसे निपटती हैं, रीता बहुगुणा जोशी इसकी बानगी भर हैं। रीता बहुगुणा जोशी के घर में आगजनी की वारदात 17 जुलाई 2009 को हुई थी। आगजनी करने वालों में उनके घर में तोडफ़ोड़ भी की थी। फैजाबाद के पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू और दर्जा प्राप्त पूर्व राज्यमंत्री इंतिजार आब्दी समेत कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। बाद में इसकी विवेचना सीबीसीआईडी को सौंप दी गई। सीबीसीआईडी ने जांच के बाद तत्कालीन एसएसपी प्रेम प्रकाश, एएसपी हरीश कुमार, सीओ हजरतगंज बीएस ग्रेब्याल, इंस्पेक्टर हुसैनगंज बलिराम सरोज समेत नौ पुलिसकर्मियों की आगजनी में सहमति और मौजूदगी पाई थी। रीता के घर पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा पर चर्चा के बहाने हजरतगंज थाने पर बुला लिया था और सुरक्षाकर्मियों के परिजन जो वहीं रहते थे, उन्हें महिला थाने में 12 घंटे तक रखा गया था। मुरादाबाद में रीता के बयान को लेकर उनके खिलाफ गैर जमानतीय धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई थी और कुछ घंटों के बाद उन्हें गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया था।


मायावती शासन में पत्रकार शलभ मणि त्रिपाठी एनआरएचएम घोटाले को लेकर लगातार खुलासे कर रहे थे। दो सीएमओ की हत्याएं जेल के बाहर हो चुकी थीं। जेल के अंदर डिप्टी सीएमओ डॉ. सचान की हत्या को प्रशासन खुदकुशी बता रहा था। हाई सिक्योरिटी लखनऊ जेल के अंदर डिप्टी सीएमओ डॉ. सचान की मौत खुदकुशी नहीं बल्कि मर्डर था, इसका सबसे पहले खुलासा शलभ मणि त्रिपाठी ने आईबीएन 7 पर किया था। चैनल पर इन खबरों के चलने से तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और घोटाले में फंसे उनके गुर्गे तिलमिलाए हुए थे। इसी के बाद 27 जून 2011 को शलभ मणि पर पुलिस ने हमला किया था। तब के एएसपी बीपी अशोक और सीओ अनूप कुमार जबरदस्ती हजरतगंज थाने लाए थे और उन्हें किसी फर्जी केस में जेल भेजने की तैयारी थी। कुछ ही समय में तमाम पत्रकारों के हजरगंज थाने पर इकट्ठा होने की वजह से पुलिस इसमें कामयाब नहीं हो सकी थी। शलभ मणि प्रदेश के विभिन्न जिलों बस्ती, झांसी, बांदा, लखनऊ आदि में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हुए थे। यह भी बताया जाता है कि शलभ मणि की हत्या की साजिश रची जा चुकी थी। इसके लिए दाऊद गिरोह के एक शूटर को सुपारी दी गई, बाद में इस शूटर का नेपाल के पास एनकाउंटर हो गया था। उस समय गृह मंत्रालय की ओर से एडवायजरी जारी कर शलभ मणि को जान का खतरा बताया गया था।

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने गुरुवार को कहा था कि मायावती के कई गिरोह हैं। एक गिरोह अपराधियों का है। गिरोह के सरगना को मैं जानता हूं। यह भी जानता हूं कि कौन-कौन सदस्य हैं। सबकी जन्म कुंडली जानता हूं। वे (मायावती) खिलाफ खबर लिखने-दिखाने वाले, विरोध करने वाले, विरोधी दल के नेताओं के घर में आग लगवा दें, किसे पिटवा दें और किसकी हत्या करवा दें, यह उनके गिरोह के सदस्यों के बायें हाथ का खेल है। मेरे बोलने पर वे मेरे परिवार व शुभचिंतकों पर हमले करा सकती हैं।


शलभ मणि त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने क्या खुलासा किया है यह तो वही बता सकेंगे, लेकिन यह सही है कि बसपा सरकार में एनआरएचएम घोटाले से जुड़ी खबरों को लेकर मेरे खिलाफ कई फर्जी केस दर्ज हुए थे। हजरतगंज थाने में हमला भी हुआ। फर्जी मुकदमे में जेल भेजने की तैयारी कर ली गई थी। मीडिया बिरादरी और समाज के अन्य लोगों के सहयोग से उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो सके।

Next Story