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मोदी जी और योगी जी जनता का ध्यान धोखे से मत भटकाओ -आज़म खान

मोदी जी और योगी जी जनता का ध्यान धोखे से मत भटकाओ -आज़म खान
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रामपुर में आज उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खाँ ने मीडिया से बात की. तीन तलाक़ को लेकर जो चर्चा चल रही है इस पर आज़म खा ने कहा के पहली बात तो तीन तलाक़ को लोग समझने की कोशिश करे. जब समझ ले पड़ लिख ले थोड़ा. तीन तलाक़ पर बात करने वाले क़ुरान भी पड़ले हदीस भी पड़ले और इस्लाम को जान ले उसके बाद तीन तलाक़ पर बात करे. क्योंकि हम समझा भी नहीं पायेंगे. जितना हम समझायेंगे वो आप दिखा नहीं पायेंगे.


आज़म ने कहा कि पहले इस्लाम को समझने की ज़रूरत है. फिर इस्लाम को इलज़ाम देने की ज़रूरत है. बूचड़ खाने को लेकर पूछने पर बोले कि आदेश हाई कोर्ट ने जारी किया है. राज्य सरकार से इसे जल्द से जल्द चालू कराने को कहा है. इस पर आज़म खाँ ने कहा के ये तो राज्य सरकार भी जानती थी. मोदी जी भी जानते थे योगी जी भी जानते थे. कि वे जो कुछ कर रहे हे वे माहौल खराब कर रहे वे वोट लेने के लिए कर रहे हे. ये सबको मालूम था कि कानून क्या कहता है और अदालते इस पर किया फैसला देंगी. ध्यान भटकाना था और ध्यान भटकाना है.


आज़म ने बोला नौकरियां कहाँ है नोजवान बेरोजगार फिर रहा है. वो सड़कों पर लोगो को पकड़ पकड़ कर मार रहा है. पैसे छीन रहा है. कही गाय कही भेस कही लव जिहाद एंटी रोमियो तो ये जो नोजवान सड़कों पर निकला हुआ है. पैसे कमाने के लिए उन्हें नोकरिया देना चाहिए. जैसा मोदी जी ने कहा था. हर साल दो करोड़ नोजवानों को नौकरियां देने को कहा था. सारे किसानों का क़र्ज़ा माफ़ करेंगे. अब क्यू की कुछ भी नहीं हो सका. लिहाज़ा अराजकता की तरफ ले गए नोजवान को अपराधी बना दिया. अपराधियो की इतनी बड़ी फ़ौज तैयार कर दी जायेगी. फिर मुल्क में हेनार्की का डर है ये सिर्फ इसी वजह से हे के जिन वायदों पर वोट लिया है उनमें से एक वायदा भी पूरा नहीं किया है.


आज़म बोले अब आप देख रहे हो कानून व्यवस्था इतनी खराब है. शायद ही 1947 के बाद उत्तर प्रदेश के ये हालात हुए हो. मंगल सूत्र छीन लिए गए. नसीम उद्दीन सिददीकी ने मायावती से अपने जान का खतरा बताया इस पर आज़म खाँ ने कहा कि मेरे ख्याल से बातें सियासत में जिस तरह से हो रही हे ये सब सभी नामुनासिब है.और ज़ाहिर है मेने पहले भी कहा था राजनीतिक पार्टियां लोगो को इस्तेमाल करती है और जब वे क़ाबिलेइस्तेमाल नहीं रह जाते तो उनका हश्र अच्छा बुरा सब होता है. लेकिन भारीपन रहना चाहिए नसीम उद्दीन साहब को भी हमारी राय ये है की थोड़ा संयम रखे भारीपन से अपने आप को पेश करें.

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