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GST के विरोध में व्यापारी बोला- ऐ प्यारे मोदी ये जुल्म ना कर, अपनों पे सितम और गैरों पे करम, वीडियो वायरल
Special Coverage News PBL
23 July 2017 1:27 PM IST

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भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में केंद्र की BJP सरकार द्वारा लगाए गए GST के विरोध में प्रदर्शनों के अलावा अन्य रचनात्मक तरीकों से भी व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं।
गुजरात: भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में केंद्र की BJP सरकार द्वारा लगाए गए GST के विरोध में प्रदर्शनों के अलावा अन्य रचनात्मक तरीकों से भी व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं। एक जुलाई (2017) से देशभर में लागू हुए जीएसटी के विरोध में कई व्यपारिक संगठनों ने सरकार की नीतियों का विरोध किया है।
व्यापारी का दर्द भरा गीत मोदी सरकार को समर्पित pic.twitter.com/qHC4M4tIzQ
— 16×2=8 (@amitdhankard) July 22, 2017
कई राज्यों में सरकार के इस फैसले के विरोध में बंद का आयोजन किया गया है। कई स्थानों पर सरकार के विरोध में पुतले फूंके गए। ऐसे में एक VIDEO इन दिनों ट्विटर पर वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यापारी ने कविता के माध्यम से जीएसटी के विरोध में अपना दर्द बयां किया है। हालांकि ये साफ नहीं हो सका है कि वीडियो कहां का है या इसे कब फिल्माया गया है। वीडियो ट्विटर पर 16×2=8 नाम के यूजर ने शेयर किया है। जिसमें में सड़क पर आसपास कई अन्य लोग भी नजर आ रहे हैं।
बता दे कि 45 सेकंड के इस वीडियो में व्यापारी ने कविता के जरिए PM नरेंद्र मोदी पर अन्य लोगों को सुविधाएं और अपनों को असुविधाएं देने का आरोप लगाया है। सामने आए वीडियो में व्यापारी ने कहा, 'ऐ प्यारे मोदी ये जुल्म ना कर। गैरों पर पे करम अपनों पे सितम। तू जीएसटी लगा ले भले पर आरसीएम का वार ना कर। तू बैलेंस सीट ले ले भले पर 37 रिटर्न की मार ना कर। मर जाएंगे हम, लुट जाएंगे हम। ओ प्यारे मोदी ये जुल्म ना कर।'
बता दें कि देशभर में GST (वस्तु एवं सेवा कर) के विरोध इसके लागू होने के 26 दिन बाद भी लगातार विरोध किया जा रहा है। व्यापारियों का आरोप हैं कि इसके लागू होने के बाद से ही उनका कारोबार बिल्कुल ठप पड़ गया है। राजधानी दिल्ली के सदर बाजार के व्यापारियों ने जनसत्ता डॉट कॉम बताया कि जीएसटी के लागू होने के बाद से उनकी व्यापार में 80 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। व्यापार बिल्कुल ठप पड़ चुका है। मार्केट में ग्राहक भी नहीं है। व्यापारियों के हित को देखते हुए सरकार को अपना फैसला तुंरत वापस लेना चाहिए।
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