राजनीति

मदर ऑफ डेमोक्रसी में, मर्डर ऑफ डेमोक्रसी लगातार कैसे किया जा रहा है?

Shiv Kumar Mishra
13 Jun 2023 6:08 PM IST
मदर ऑफ डेमोक्रसी में, मर्डर ऑफ डेमोक्रसी लगातार कैसे किया जा रहा है?
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In Mother of Democracy, how is Murder of Democracy being done continuously

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कांग्रेस कार्यालय में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि जैसा कि अभी आपने सुना और देखा ये जैक डोर्सी हैं, ट्विटर के संस्‍थापक the founder of twitter and also its former CEO. He was the CEO of twitter, when the farmer agitation was happening. और उन्‍होंने दो टूक कहा कि सरकार ने उनसे कहा अगर किसानों को दिखाया तो ट्विटर के दफ्तरों पर और उनके कर्मचारियों के घर पर छापा पड़ेगा और भारत में ट्विटर बंद कर दिया जाएगा, लेकिन सच की भी एक खासियत होती है और सच की खासियत ये है कि जितनी शिद्दत से उसको दबाया जाता है, उतनी तेजी से वो बाहर आता है और एक बार फिर मोदी सरकार के काले कारनामे, उनसे जुड़ा हुआ सच बाहर आ चुका है।

आज का जो टॉपिक है इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का,वो मदर ऑफ डेमोक्रसी में, मर्डर ऑफ डेमोक्रसी लगातार कैसे किया जा रहा है? उसी को उजागर करने का, उसी सच को बताने का है।

सोचिए कि जब तीन काले कृषि कानून आए थे, किसान विरोधी कानून और उन किसानों का दमन किया जा रहा था, जब एक साल से ऊपर किसान दिल्‍ली की सरहद पर जाड़ा, गर्मी, बरसात, ओले झेलते हुए इस सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे तो बजाय समाधान ढूंढ़ने के उनको मवाली, उनको खालिस्‍तानी, उनको पाकिस्‍तानी, उनको आतंकी तो कहा ही जा रहा था, साथ में ट्विटर जैसे प्‍लेटफॉर्म्स को ये भी बोला जा रहा था कि अगर उनको दिखाया तो आपका भारत में बोरिया-बिस्‍तर हम बंद कर देंगे और आप पर छापे मारे जाएंगे और याद रखिएगा अपने घमंड और अहंकार में चूर इस देश का डरपोक तानाशाह प्रधानमंत्री तब तक चुप रहा, जब तक 700 से ज्‍यादा किसानों की शहादत नहीं हो गई और चुनावी नफा-नुकसान देखते हुए तीन काले कृषि कानून वापस लिए, लेकिन ये सच है कि जब इस देश का अन्‍नदाता अपने हक की लड़ाई लड़ रहा था तो इस देश के प्रधान मंत्री उनका दमन कर रहे थे, उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे थे और आपको याद दिला दूं ये मई 2021 की बात है, किसान आंदोलन चल रहा था, अपनी चरम सीमा पर था और तब बीजेपी की फेक न्‍यूज फैक्‍ट्री, जो कि सही नाम है बीजेपी की आईटी सेल का, उनके कुछ बददिमाग प्रवक्‍ताओं और सांसदों ने एक मनगढंत फर्जी ट्वीट किया था, कोई तथाकथित टूलकिट को लेकर, उनका कहना था कि कांग्रेस इस टूलकिट का इस्‍तेमाल कर रही है और आपको याद होना चाहिए कि उसको मैनुपुलेटेड मीडिया, मतलब भ्रामक मीडिया कहकर टैग किया गया थाऔर आज वो असलियत सामने आ रही है कि उसके बाद क्‍या हुआ था – उसको भ्रामक मीडिया कहकर टैग किया गया था और 24 मई, 2021 को ट्विटर के ऑफिसों पर छापा पड़ा, टि्वटर के कर्मचारियों के घर पर छापा पड़ा और ये अब समझ में आता है कि किसान आंदोलन को दबाने के लिए किया गया था।

मैं आपके साथ एक और डेटा साझा करूंगी, लेकिन उसके पहले एक ही सवाल है कि इस देश का प्रधान मंत्री इतना कायर, इतना डरपोक क्‍यों है? 140 करोड़ लोगों के इस देश की सरकार 21 साल की एक क्‍लाइमेट एक्टिविस्‍ट से डरती है, पॉप सिंगर रिहाना से डरती है, वो छोटी सी बच्‍ची ग्रेटा थनबर्ग से डरती है, इस देश की सरकार मीडिया से, खासतौर से उस मीडिया से जो सवाल पूछता है इतना डरती है कि एक लंबी फेहरिस्त है मेरे सामने, जिसमें मैं लगातार बता सकती हूं कि किन-किन लोगों पर सीबीआई की, ईडी की, इंकम टैक्‍स की रेड हुई, क्‍योंकि वो सच दिखा रहे थे, अब चाहे वो भास्‍कर हो जो कोरोना काल का सच दिखा रहा था, चाहे वो न्‍यूज क्लिक हो, चाहे वो न्‍यूज लॉण्‍ड्री हो, चाहे वो भारत समाचार हो, चाहे वो वायर हो, चाहे वो क्‍विंट हो, चाहे वो प्रणय रॉय हो, चाहे वो तमाम ऐसे लोग जिन्‍होंने सच दिखाने की और सवाल पूछने की हिम्‍मत दिखाई उनको रेड किया गया और ये चुप कराने की साजिशें रची गईं, लेकिन क्‍योंकि हम ट्विटर की बात कर रहे हैं आपके सामने एक आंकड़ा है और इसको अभी मैं साझा कर दूंगी आपके साथ।

आपको याद होगा अगस्‍त 2021, राहुल गांधी जी का अकाउंट ट्विटर ने ब्‍लॉक किया था, उनका कहना था कि उनकी किसी गाईडलाइन का उल्‍लंघन हुआ है, जबकि चेहरा विक्टिम का नहीं, विक्‍टिम की फैमिली का था, लेकिन बहरहाल अगस्‍त 2021 में राहुल गांधी जी का ट्विटर हैंडल ब्‍लॉ‍क किया जाता है और अगले 6 महीने तक उनका ट्विटर ग्रोथ, उनकी सब्‍सक्राइबर ग्रोथ, उनकी फॉलोवर ग्रोथ बिल्‍कुल नगण्‍य हो जाती है और जब फरवरी 2022 में वॉल स्‍ट्रीट जनरल ये खबर चलाने वाली है कि ट्विटर ने राहुल गांधी जी के अकाउंट को ब्‍लॉक किया है और उनकी सब्‍सक्राइबर ग्रोथ ब्‍लॉक हो गई है और ट्विटर को चिट्ठी लिखी जाती है तुरंत ये जो शैडो बैन था, ये हट जाता है और लगातार उसके बाद सब्‍सक्राइबर में ग्रोथ आ जाती है तो मैं आज ये क्‍यों ना कहूं कि ट्विटर ने ये ब्‍लॉकिंग, ट्विटर ने ये शैडो ब्‍लॉकिंग, सब्‍सक्राइबर ग्रोथ पर ब्‍लॉक करना सरकार के कहने पर किया था और ये जो 6 महीने का बैन था ये सरकार के दबाव में आकर किया गया था, जिससे विपक्ष की सबसे मजबूत आवाज को भी ट्विटर जैसे प्‍लेटफॉर्म पर ब्‍लॉक किया जाए और ये कहानी सिर्फ ट्विटर तक सीमित नहीं है, हम सबको पता है कौन से पेज डिलीट होते हैं, हम सबको पता हैकिसके पोस्‍ट डिलीट कराए जाते हैं फेसबुक से, यूट्यूब पर किसको रिस्‍ट्रक्‍शन किया जाता है ये सर्वविदित है, लेकिन ट्विटर का एक फाउंडिंग सीईओ, फॉर्मर सीईओ अगर ये कह रहा है कि सरकार ने इस क़दर दबाव बनाया था कि अगर किसानों को दिखाया गया तो आपके घरों पर छापे पड़ेंगे, ये असलियत है 56 इंच की छाती की और 56 इंच की छाती डरती इतना ज्‍यादा है, कुछ उदाहरण तो मैंने आपको दिखा दिया, लेकिन वो डरते इतने ज्‍यादा हैं कि कोई सवाल पूछ ले तो नौकरी खाने पर आमादा हैं।

अभी थोड़े दिनों पहले अमेठी में स्‍मृति ईरानी जी जा रहीं थीं, पत्रकार ने सवाल पूछने की हिम्‍मत दिखाई, 12 घंटे के अंदर में पत्रकार की नौकरी खा ली, बड़ा संतोष आया होगा, बड़ी संतुष्टि आई होगी। नौकरी एक बना नहीं सकते, लेकिन खाने में सबसे आगे रहते हैं और डरते इस क़दर हैं कि विपक्ष की सबसे मजबूत आवाज जो 4,000 किलोमीटर पैदल चलकर इनकी कलई खोलने लगती है, संसद में इनका पर्दाफाश करती है उसको षडयंत्र रचकर संसद से निकालने का काम किया जाता है और हां मैं राहुल गांधी की बात कर रही हूं, लेकिन ये जो तथ्‍य सामने आ रहे हैं, ये वाकई में भयावह हैं, ये डरावने हैं और ये दिखाते हैं कि किस तरह से लोकतंत्र में हर उस आवाज का दमन किया जाएगा जो थोड़ी सी, जरा सी भी हिम्‍मत दिखाएगा और क्‍यों डरते हैं मोदी जी, क्‍यों डरता है इस देश का प्रधान मंत्री – इस देश का प्रधान मंत्री इसलिए डरता है क्‍योंकि करोड़ों रुपए खर्चा करके एक रंगी पुति छवि बनाई गई है और जब ऐसे सच सामने आते हैं तो वो छवि ध्‍वस्‍त हो जाती है और बेनकाब हो जाता है एक कायर तानाशाह।

मैं मोदी जी की जो कायरता है उस पर दो बात जरूर बोलूंगी, क्‍योंकि जब भी आप इनको सच का सामना कराइए, जब भी आप इनको आईना दिखाइए तो अंतर्राष्‍ट्रीय साजिश का एक बहाना बनाया जाता है और जैसा कि हमेशा होता है सरकार की ओर से एक बेसिर-पैर का ट्विटर ने फलाने कानून का उल्‍लंघन किया, किस कानून का उल्‍लंघन किया, किसी को नहीं पता है। हां एक कानून का उल्‍लंघन किया है शायद, चरणवंदन पर थोड़ी कमी कर दी होगी, ये कानून का उल्‍लंघन था।

सरकार की ओर से और खासतौर से भाजपा के प्रवक्‍ताओं की ओर से, भाजपा के सांसदों और मंत्री की ओर से जबरदस्‍त ट्वीट्स आने शुरू हो गए हैं, पर मुझे लगता है ये स्‍क्रिप्ट भी जो है वो उबाऊ हो चुकी है और तानाशाह का असली चेहरा सामने आ गया है। तानाशाह का मुझे लगता है अगर आप गूगल में डालिए तो शायद ये चेहरा सामने आता है, अब इनको पीछे करते हुए ये चेहरा सामने आने लगा है, लेकिन ये तानाशाह डरपोक है, ये तानाशाह इसलिए डरपोक है, क्‍योंकि ये किसानों के खिलाफ अपनी निरंकुश पुलिस, ये किसानों के खिलाफ एनआईए, ये किसानों पर लाठियां बरसाने का काम करते हैं और सच को छुपाने का काम करते हैं और वो सच बार-बार उजागर होता है और आज सरकार को ये बताना है और ये जो बेकार के तथ्‍य कहे जा रहे हैं कि वो झूठ बोल रहे हैं।

आज जैक डोर्सी को झूठ बोलने की क्‍या जरूरत है, उनको झूठ बोलने से क्‍या मिलेगा, क्‍या वो ट्विटर के सीईओ हैं, क्‍या वो ट्विटर के बोर्ड पर हैं, 2021 में वो सीईओ बनना बंद हो गए थे, 2022 मई से अगर मैं गलत नहीं हूं या मार्च से वो बोर्ड पर नहीं हैं, उनको क्‍या मिल रहा है ये सच उजागर करके? मुझे लगता है इस देश के लोकतंत्र को कमजोर करने की बात जो राहुल गांधी कहते हैं इससे बड़ा प्रमाण दूसरा कोई नहीं है कि चुन-चुनकर प्‍लेटफॉर्मस को ये कहा जा रहा है कि असलियत मत दिखाइए, असलियत को छुपाओ, नहीं तो हम तुम्‍हारे ऊपर छापे मारेंगे, तुम्‍हारे दफ्तरों को बंद कर देंगे, ये असलियत है इस सरकार की।

एक और असलियत है और उस पर संक्षिप्‍त में बात करके आपको सवालों का जवाब देंगे हम और ये असलियत है डेटा ब्रीच की। कल एक बड़ी खबर आई कि कोविन का जो डेटा था, आप सबको याद होगा कि कोविड काल के दौरान अगर वैक्‍सीन चाहिए थी तो एक ही तरीका था कोविन पर जाइए, अपना फोन नंबर, अपना आधार या पासपोर्ट या सेंसिटिव डेटा भरिए, उसके बाद में आपको अप्‍वाइंटमेंट मिलता था, आपको जाकर कोविड की वैक्‍सीन लग रही थी और एक बात ये भी सच है कि एक ही फोन पर हो सकता है अपने घरवालों का, अपने मित्रों का, संबंधियों का भी रजिस्‍ट्रेशन किया गया था। पता चलता है कि ये डेटा सरेआम लीक हो रहा है, टेलीग्राम का एक बोट लगातार ये डेटा लीक कर रहा है और डेटा लीक बड़े-बड़े नेताओं का हुआ, भाजपा के भी नेताओं का हुआ, श्री चिदंबरम का हुआ, विपक्ष के और लोगों का हुआ, डीएमके के नेताओं का हुआ, लगातार पता चल रहा है कि ये डेटा कैसे लीक हो रहा था, सारा डेटा उपलब्‍ध है क्‍या डेट ऑफ बर्थ है, क्‍या पासपोर्ट नंबर है, क्‍या आधार आई डी है, सारा डेटा लीक हो रहा है और सरकार का डिफेंस आप सुन लीजिए क्‍या है – सरकार के जो आज-कल सबसे बड़े विश्‍व गुरु बने हुए एक और मंत्री हैं, जो राज्‍य मंत्री हैं इंफोरमेशन टेक्‍नोलॉजी के उनका डिफेंस क्‍या है – नहीं-नहीं ये कोविन डेटा लीक नहीं है, ये कोई पहले का डेटा कोविन का लीक हुआ था, उसका ब्रीच हुआ था, वहां से आ रहा है।

तो हमारे कुछ सवाल हैं इस पर :-

जो पहले का डेटा लीक जिसको अलेज्‍ड ब्रीच एंड स्‍टोलन डेटा कहा जा रहा है, क्‍या उसके बारे में सरकार ने कोई कार्रवाई की थी? ये पब्लिक क्‍यों नहीं किया गया कि वे कौन सा डेटा था? एफआईआर क्‍यों नहीं लॉज की गई? ये कहां से डेटा लीक होता है? कैसे थर्ड पार्टी टेलीग्राम पर सिर्फ नंबर डालने से सारा डेटा मिला जा रहा है? क्‍या है यहां का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर?

लगातार सरकार आपका डेटा बटोरने की कोशिश करती है, क्‍या वो कोविन एप हो, क्‍या वो उमंग हो, क्‍या वो डिजी एप हो, लगातार लोगों का डेटा लिया जाता है, आप डेटा लेते क्‍यों हो, जब आपसे डेटा संभलता नहीं है। ये पहली बार तो उल्‍लंघन है नहीं और एक बात ये भी सच है कि 2017 में इस देश के उच्चतम न्‍यायालय ने, इस देश के सबसे बड़े न्‍यायालय ने डेटा को राइट टू प्राइवेसी बताया था, उस राइट टू प्राइवेसी का क्‍या हो रहा है? सरकार ने कमेटी बना दी, सरकार ने कंसलटेशन किया, अब फिर से पूरा कालचक्र शुरू हो रहा है डेटा के कानून का।

तो सवाल ये है कि ये डेटा गया कैसे कोविन एप से, किसके पास गया और सरकार की क्‍या जिम्‍मेदारी है? क्‍या सरकार ये कहकर बच जाएगी कि पुराना डेटा था, तो वो पुराना डेटा कैसे लीक हुआ? तो कहीं न कहीं ये प्रेरित होता है, कहीं न कहीं ये पूरी तरह से साफ है अपना काम संभल नहीं रहा है और जहां पर आपकी कलई उधेड़ी जाएगी, वहां पर दमन किया जाएगा। अपना डेटा संभल नहीं रहा है, लेकिन किसानों की अ‍सलियत न बाहर आ जाए, किसान कानून जो बने थे उसकी असलियत न बाहर आ जाए तो ट्विटर जैसे प्‍लेटफार्मस को, किसानों के आंदोलन दिखाने वाले अकाउंटस को बंद करने के लिए दबाव बनाया गया और बंद भी हुए। ये दबाव बनाया गया कि कैसे राहुल गांधी जी का अकाउंट सस्‍पेंड कर दिया जाए और कैसे वो अकाउंट डोरमेंट रहे, 6 महीने तक सब्‍सक्राइबर ग्रोथ न होना, आप सोच सकते हैं और जैसे ही खबर बाहर आने वाली थी सब्‍सक्राइबर ग्रोथ लगातार होती गई, उछाले मारने लगी और मुझे लगता है कि जब राहुल गांधी जी कहते हैं कि लोकतंत्र पर प्रहार हैऔर मीडिया के भी बहुत सारे साथियों को उस पर आपत्ति होती है तो ज्‍यादा दूर नहीं देखना है, जैक डोर्सी की ये 40 सेकंड से कम की जो बाईट है, 40 सेकंड से कम का जो वक्‍तव्‍य है उसी को सुन लीजिए और सारा सच सामने आकर खड़ा हो जाता है।

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