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अब चुनावी रणनीति नहीं बनाएंगे प्रशांत किशोर, लिया संन्यास, जानें- क्यों?

Arun Mishra
2 May 2021 11:29 AM GMT
अब चुनावी रणनीति नहीं बनाएंगे प्रशांत किशोर, लिया संन्यास, जानें- क्यों?
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प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर मैं राजनीति में गया तो मुझे वापस जाना होगा और देखना होगा कि मुझे अब क्या करना है।

पश्चिम बंगाल में इस बार हैट्रिक जीत की ओर बढ़ रही ममता बनर्जी की टीएमसी की चुनावी प्रचार से लेकर रणनीति बनाने तक में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर अब चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम नहीं करेंगे। बंगाल में टीएमसी बड़ी जीत की ओर अग्रसर है और भाजपा 100 के अंक छूने से काफी पीछे है, बावजूद इसके पश्चिम बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने चुनावी कामकाज को छोड़ने का ऐलान कर दिया है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने इसकी वजह भी बताई।

एनडीटीवी चैनल से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा, 'मैं जो कर रहा हूं उसे अब जारी नहीं रखना चाहता। मैंने काफी कुछ कर लिया है। अब मेरे लिए एक ब्रेक लेने का समय है और जीवन में कुछ और करना चाहता हूं। मैं यह स्पेस छोड़ना चाहता हूं।' उनके 'यह स्पेस छोड़ना चाहता हूं' कहने का मतलब है कि वह अब चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करना चाहते हैं।

इस सवाल पर कि क्या वह राजनीति में दोबारा शामिल होंगे, प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं एक असफल राजनीतिज्ञ हूं। अगर मैं राजनीति में गया तो मुझे वापस जाना होगा और देखना होगा कि मुझे अब क्या करना है। प्रशांत किशोर का यह फैसला इसलिए भी हैरान करने वाला है, क्योंकि उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी बंगाल चुनाव को लेकर वह अबतक सच साबित होता दिख रहा है। भाजपा 100 सीटों से नीचे जाती दिख रही है और ऐसे में उन्होंने यह ऐलान करके सबको चौंका दिया है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कई बार सार्वजनिक रूप से इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि अगर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की सीटें 100 के पार हुईं तो वह अपना काम छोड़ देंगे। पहली बार जब उन्होंने ट्विटर पर यह ऐलान किया तो आईपैक के उनके कुछ सहयोगियों ने दावा किया कि पीके ट्विटर छोड़ने की बात कर रहे हैं। मगर हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के सलाहकार बने प्रशांत किशोर ने न्यूज चैनल आजतक से इंटरव्यू में साफ किया था कि वह चुनावी रणनीतिकार का काम छोड़ देंगे। उन्होंने कहा था कि यदि बीजेपी की 100 से सीटें आती हैं तो उनके काम का कोई मतलब नहीं रह जाता है। हालांकि, बंगाल चुनाव में भाजपा उस नंबर से काफी पीछे है, तब भी वह अब इस काम को नहीं करेंगे।

चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, अबतक जो रुझान हैं उसमें तृणमूल कांग्रेस 201 सीटों पर लीड कर रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी 78 सीटों पर है। कांग्रेस एक सीट पर तो अन्य तीन सीटों पर आगे है। हालांकि, अभी तक 292 में से 284 सीटों का ही रुझान आया है। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि नतीजों में बहुत ज्यादा कुछ बदलाव नहीं होगा। अगर ऐसा ही ट्रेंड रहा तो फिर पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा की सीटें तो बढ़ेंगी, मगर प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी भी सच साबित हो जाएगी।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं, मगर दो कैंडिडेट के निधन की वजह से मतदान 292 सीटों पर हुआ है। जो पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े 147 सीटें को पार कर जाएगी, वही सरकार बनाने की दावेदारी पेश करेगी। अभी तक टीएमसी दो सौ सीटों से आगे चल रही है। इसका मतलब है कि अगर नतीजों में बहुत कुछ बदलाव नहीं हुआ तो एक बार फिर से बंगाल में टीएमसी की सरकार बनेगी। पिछली बार यानी साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को 211 सीटें मिली थीं। वहीं, कांग्रेस को 44, माकपा को 26 और भाजपा को महज 3 सीटें मिली थीं।

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