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महंगाई के मुद्दे पर राहुल गाँधी ने फिर मोदी सरकार को घेरा

महंगाई के मुद्दे पर राहुल गाँधी ने फिर मोदी सरकार को घेरा
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महंगाई के मुद्दे पर राहुल गाँधी ने फिर मोदी सरकार को घेरा,कहा 'खाया भी, ‘मित्रों’ को खिलाया भी

बढ़ती महंगाई को लेकर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमला कर रही है. कांग्रेस बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर भी लगातार देश भर में प्रदर्शन कर सरकार को घेरती रहती है.इसी बीच कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बढ़ती महंगाई पर आज मोदी सरकार पर निशाना साधा है .राहुल गांधी ट्वीट कर कहा 'खाया भी, 'मित्रों' को खिलाया भी- बस जनता को खाने नहीं दे रहे.'' इस ट्वीट में उन्होंने बढ़ती महंगाई दर की खबर को भी साझा किया.

वहीं कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस 19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में महंगाई के मुद्दे को उठाएगी और इस पूर्ण चर्चा की मांग करेगी. साथ ही उन्होंने कहा, ''महंगाई को लेकर राजग सरकार लगातार यह बताने की कोशिश कर रही है कि महंगाई से जुड़ी चिंता फर्जी है और अगर सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज करती है तो यह मुद्दा खत्म हो जाएगा. कांग्रेस पार्टी महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार की घोर लापरवाही की निंदा करती है.''

चिदंबरम के मुताबिक, ''सरकार और रिजर्व बैंक ने चार फीसदी के आसपास महंगाई दर का लक्ष्य रखा था. जबकि उपभोक्ता मुद्रास्फीति छह फीसदी की अधिकतम सीमा को पार कर गयी है और एनएसओ की ओर से सोमवार को जारी विज्ञप्ति के मुताबिक यह 6.26 प्रतिशत तक पहुंच गई है.

शहरी उपभोक्ता मुद्रास्फीति मई में 5.91 प्रतिशत थी जो जून में बढ़कर 6.37 प्रतिशत तक पहुंच गई. कोर महंगाई दर एक महीने में 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गई.'' उन्होंने कहा, ''खाद्य मुद्रास्फीति 5.58 प्रतिशत पहुंच गई है. दलहन मुद्रास्फीति बढ़कर 10.01 प्रतिशत हो गई है. फलों की महंगाई दर 11.82 प्रतिशत तक पहुंच गई है. परिवहन सेवा की महंगाई दर 11.56 प्रतिशत हो गई है. ईंधन महंगाई दर 12.68 प्रतिशत हो गई है.''

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी कर रही है. पूर्व वित्त मंत्री ने आरोप लगाया, ''महंगाई के आगे लोग बेबस हैं...सरकार लोगों की बेबसी का दोहन कर रही है.'उन्होंने यह भी कहा ''कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि केंद्र सरकार को पेट्रोल, डीजल और एलपीजी कीमतों में अच्छी खासी कमी करनी चाहिए. हम मांग करते हैं कि आयात शुल्क की समीक्षा की जाए और इसे फिर से तय किया जाए ताकि आयात की जाने वाली आवशयक वस्तुएं सस्ती हो सकें.हम यह भी मांग करते हैं कि जीएसटी की दरें उन वस्तुओं पर कम की जाएं जो लोगों की ओर से रोजमर्रा में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाती है. हमारा मानना है कि इन कदमों से महंगाई के बोझ तले दबे लोगों को राहत मिलेगी ".









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