राजनीति

राजनाथ के बयान से बीजेपी में भूचाल, योगी हों या मोदी सबके खड़े हुए कान!

Shiv Kumar Mishra
2 Nov 2023 6:10 AM GMT
राजनाथ के बयान से बीजेपी में भूचाल, योगी हों या मोदी सबके खड़े हुए कान!
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Rajnath's statement created an earthquake in BJP, be it Yogi or Modi, everyone's ears perked up

लखनऊ। भाजपा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 2005 में मैंने प्रसिद्ध मराठी नाटक "जाणता राजा" मुंबई में देखा था तो दूसरे दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित हो गया था। आज फिर "जाणता राजा" देख रहा हूं। उनके इतना कहने के बाद सामने बैठी भीड़ से कई लोग बोल उठे कि अब प्रधानमंत्री बनेंगे। अपनी बात को प्रमाणित करने के लिये राजनाथ सिंह ने राज्यसभा सांसद व उनके निजी ज्योतिषी कहे जाने वाले सुधांशु त्रिवेदी की गवाही लगायी। जानकारों की मानें तो देश में भाजपा की गिरती लोकप्रियता, पार्टी के भीतर उठ रहे बगावती स्वर, मित्र दलों से मर्यादित व्यवहार की जगह व्यवसायिक व्यवहार के कारण दरकते समन्वय को ठीक करने के लिये नरेंद्र मोदी को फिर राजनाथ की जरूरत पड़ गयी है।

बता दें कि समय पर राजनैतिक पलटी के महारथी राजनाथ सिंह ने 2014 में नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री चेहरा बनने की घोषणा की थी। मुंबई के जिस कार्यसमिति में नरेंद्र मोदी को पार्टी के चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष घोषित हुये थे उसी कार्यसमिति में पार्टी के पूर्व महामंत्री संगठन संजय जोशी को वनवास दिया गया था। 2014 में भाजपा की सरकार बनने पर राजनाथ सिंह को देश का गृहमंत्री बना कर नरेंद्र मोदी ने उनके एहसानों का बदला चुकाया। 2019 में अमितशाह भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जब मोदी पार्ट- 2 के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो अमितशाह केंद्रीय गृहमंत्री बना दिये गये। मतलब टीम गुजरात का संदेश था कि भाजपा की सरकार में मोदी के बाद शाह की शक्ति है।

हालांकि राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री बना कर सम्मानित किया गया। लेकिन जनता में जो संदेश देना था वह पहुंच गया। राजनाथ सिंह नंबर तीन नेता बने रह जाय इसके लिये वह "चुप-चाप" सूत्र को कसके पकड़ कर कुंडली मार लिये।माना जाता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को उनके गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में मिली पराजय के बाद परिणामहीन जेपी नड्डा को निपटाना राजनाथ सिंह जैसे धुरंधर के बायें हाथ का खेल है। लखनऊ में भाजपा मामलों के जानकार लोगों के अनुसार राजनाथ सिंह अपने राजनैतिक समकक्ष दिग्गज नेताओं को बहुत प्यार से निपटाते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह हों, रामप्रकाश गुप्त हों या भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की इन्हें हटने का बहुत हद तक राजनाथ सिंह को माना जाता है। कल्याण सिंह जब जब निपटाये तब उन्हें अटल जी से भिड़ाया गया। राजेन्द्र गुप्त को लगातार यह सिद्ध किया गया कि यह भूल जाते हैं, लोगों को पहचानते नहीं।बताते हैं कि इन प्रचारों को दुष्प्रचारित करने में मुठ्ठी भर पत्रकार और नेता योजनावद्ध तरीके से लगे थे। 2012 में नितिन गडकरी बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष लखनऊ प्रवास पर थे। राजनाथ सिंह ने घोषणा किया था कि नितिन गडकरी ही पुनः अध्यक्ष होंगे। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में किसी आर्थिक मामले में गडकरी की कंपनियों पर छापा पड़ा जिसके कारण गडकरी अध्यक्षीय लाइन से बाहर कर दिये गये। राजनाथ सिंह की दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया।

वर्तमान परिवेश में टीम गुजरात के पास राजनाथ सिंह से मुफीद व्यक्ति नहीं है। जो नड्डा की जगह भी फिट हो सकते हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेजी से बढ़ते जनसमर्थन पर विराम लगाने की दृष्टि से तात्कालिक हथियार के रूप में उत्तर प्रदेश की भी कमान संभाल सकते हैं। हालांकि यह सौदा सिंह के लिये उपयुक्त नहीं है। लेकिन राजनीति के मजे खिलाड़ी राजनाथ सिंह यह जानते हैं कि टीम गुजरात के विश्वास में बना रहना ही उनके लिये फायदे का सौदा होगा।

राजनीति में रह कर पूरे जीवन राजनाथ सिंह एक मार्ग पर चले "कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे"। यदि किसी कारण से 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो नये या पुराने मित्र दलों का समर्थन हासिल स करने में सुविधा होगी। इसी कारण लखनऊ में रक्षा मंत्री द्वारा दिये गये वक्तव्यों पर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भाजपा नेतृत्व की बेचैनी बढ़ गयी है।

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