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हिंदी भाषा को लेकर रामविलास पासवान ने कही ये बड़ी बातें, अंग्रेजों ने अंग्रेजी हमपर थोपी
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 'दूरदर्शन' के 60 वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी और कहा कि भारत की कला, संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने में प्रतिबद्ध अपने शानदार सफर में दूरदर्शन ने बेहतरीन कार्यक्रमों और निष्पक्ष, गंभीर, स्तरीय खबरों के जरिए दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने हिंदी भाषा को लेकर कही मुख्य बाते-
-अंग्रेजी मात्र 90साल पुरानी भाषा है जबकि हिन्दी,तमिल,बांग्ला आदि सैकड़ों साल से बोली जानेवाली समृद्ध भाषा है।आज भारत मेंअंग्रेजी महारानी बनी हुई है और देश की अन्य देसी भाषाएं नौकरानी जैसी बदहाल हैं।इसका मुख्य कारण है,कि अंग्रेजी जानने वालों को बड़ी बड़ी नौकरियां मिल रही है।
-अंग्रेजों ने अंग्रेजी हमपर थोपी है। यह शर्म की बात है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की भाषा अंग्रेजी है। उच्चतम न्यायालयों में हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं के उपयोग की अनुमति नहीं है
- चार उच्च न्यायालय बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश को छोड़कर अन्य किसी भी उच्च न्यायालय में अंग्रेजी को छोड़कर हिन्दी या स्थानीय भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
-भारत की अपनी एक भाषा होनी चाहिए। हिन्दी सर्वाधिक बोली जानेवाली और सबसे ज्यादा लोगों को समझ में आनेवाली भाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1918 में कहा था कि "भाषा माता के समान है और माता पर जो प्रेम होना चाहिए वह हम लोगों में नहीं है। हम अंग्रेजी के मोह में फंसे हैं।
-हमारी प्रजा अज्ञान में डूबी है। हमें ऐसा उद्योग करना चाहिए कि एक वर्ष में राजकीय भाषाओं में, कांग्रेस में, प्रांतीय सभाओं में तथा अन्य सभा समाज में व सम्मेलनों में अंग्रेजी का एक भी शब्द सुनाई न पड़े। हम अंग्रेजी का व्यवहार बिलकुल त्याग दें।
-उन्होंने पुन: कहा था–अगर स्वराज अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों और उन्हीं के लिए होने वाला हो तो नि:संदेह अंग्रेजी ही राष्ट्रभाषा होगी लेकिन अगर स्वराज,करोड़ों निरक्षरों,निरक्षर बहनों,दलितों और अन्त्यजों के लिए होने वाला हो,तो मैं कहूंगा कि एकमात्र राष्ट्रभाषा हिन्दी हो सकती है
-नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भी हिन्दी भाषा के राष्ट्रीय भाषा घोषित करने की वकालत की। भारत को छोड़कर हर देश की अपनी भाषा है।
-हमारा नारा है, गांधी, लोहिया की अभिलाषा, चले देश में देसी भाषा। अंग्रेज़ यहां से चले गए, अँग्रेजी को भी जाना है। अँग्रेजी में काम ना होगा, फिर से देश गुलाम ना होगा।
-दक्षिण भारत के राज्यों के कुछ नेता तथा पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का हिन्दी का विरोध करना अनाश्यक है। उन्हे अपनी मातृभाषा का समर्थन करना चाहिए और अँग्रेजी का विरोध। अँग्रेजी विदेशी भाषा है, अपनी भाषा तो हिन्दी है।
भाजपा अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हिंदी दिवस के अवसर पर 'एक-देश, एक-भाषा' की वकालत की। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी ही देश को एकता की डोर में बांधने और विश्व में भारत की पहचान बनाने का काम कर सकती है। विपक्षी, खासकर तमिलनाडु के दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
शाह ने ट्वीट में कहा कि हम अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं, साथ में हिंदी का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के महात्मा गांधी और सरदार पटेल के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें। बाद में, एक समारोह में शाह ने कहा कि देश में विभिन्न भाषाओं, बोलियों और संस्कृतियों का समावेश है। ऐसे में जब राजभाषा का निर्णय करना हो, तो स्वाभाविक है कि अलग-अलग राय होंगी ही। भारतीय समाज को भी अपनी भाषा को लेकर आत्मचिंतन की जरूरत है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि 2024 के आम चुनाव तक हिंदी नई ऊंचाई पर होगी।