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इन 5 वजहों से TDP चीफ चंद्रबाबू नायडू ने NDA से तोड़ा नाता
नई दिल्ली : तेलगू देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को झटका देते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अपना नाता तोड़ लिया है। यानी अब टीडीपी, एनडीए का हिस्सा नहीं है।
पार्टी की शुक्रवार को हुई पोलित ब्यूरो की बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसके बाद TDP के 16 सांंसदों ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया। इतना ही नहीं, एनडीए से अलग होने के बाद मोदी सरकार के खिलाफ TDP अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी तैयारी कर चुकी है।
अमरावती में आयोजित पोलित ब्यूरो की बैठक में चंद्रबाबू नायडू ने अपने सांसदों से टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि वे आंध्रप्रदेश को 'विशेष राज्य' का दर्जा दिलाने के मुद्दे पर दिल्ली में एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएं। इससे पहले बीते 8 मार्च को टीडीपी के दो मंत्रियों ने राजग सरकार से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि इसके बावजूद पार्टी ने कहा था कि वह केंद्र को अपना समर्थन जारी रखेगी।
इन 5 वजहों से TDP ने छोड़ा NDA का साथ
गौरतलब है आंध्रप्रदेश को 'विशेष राज्य' का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर TDP और वाईएसआर कांग्रेस काफी समय से भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दबाव बना रही है। TDP मांग थी कि आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे के तहत केंद्रीय सहायता उपलब्ध करवाई जाए, जिसका वादा राज्य में से काटकर नया राज्य तेलंगाना गठित करते हुए किया गया था।
केंद्र ने विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को ठुकरा दिया था। इस वजह से नायडू मोदी सरकार से नाराज थे। अरुण जेटली ने कहा कि ज़ज्बात के आधार पर राज्यों को फंड्स नहीं दिये जा सकते हैं, केन्द्र सरकार के फंड्स पर सभी सरकारों का बराबरी का हक है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में आंध्र प्रदेश के लिए 'विशेष पैकेज' की घोषणा की थी, लेकिन TDP का दावा है कि पैकेज के तहत कभी कोई राशि जारी नहीं की गई। चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि वह विशेष पैकेज पर इसलिए सहमत हो गए थे, क्योंकि केंद्र सरकार ने वादा किया था आइंदा किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाएगा।
चंद्रबाबू नायडू करोड़ों रुपये का केंद्रीय सहायता पैकेज चाहते थे, जिसका वादा कांग्रेस-नीत UPA सरकार के कार्यकाल में किया गया था। राज्य के राजनैतिक दलों का कहना है कि बंटवारे (आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का अलग होना) से आंध्र प्रदेश को राजस्व के क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है।
विपक्षी पार्टियां मसलन वाईएसआर कांग्रेस अक्सर विशेष राज्य का दर्जा न दिये जाने पर हमला बोलती रही है। हमला बोलने की एक वजह इसलिए भी थी क्योंकि टीडीपी केंद्र में सहयोगी पार्टी भी थी। बताया जा रहा है अगले साल आंध्र प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले TDP इस मुद्दे पर काफी दबाव में अपने आप को महसूस कर रही है।