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पद्मावती फ़िल्म का नाम बदलकर भले ही सेंसर बोर्ड ने उसको प्रदर्शन के लिए हरी झंडी दे दी हो,
पद्मावती फ़िल्म का नाम बदलकर भले ही सेंसर बोर्ड ने उसको प्रदर्शन के लिए हरी झंडी दे दी हो, लेकिन यह फ़िल्म देश मे प्रदर्शित होगी, इस पर अभी संशय बरकरार है। राजस्थान, गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड सहित कई अन्य प्रदेश की सरकार भी इस पर रोक लगाने पर विचार कर रही है।
उधर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष फ़िल्म के प्रदर्शन को लेकर अड़े हुए है। उनकी ओर से तर्क दिया जा रहा है कि इस तरह की पाबंदी से बोर्ड की स्वायत्तता खतरे में पड़ जाएगी।
राजपूत नेता केवल फ़िल्म का नाम बदलने से संतुष्ट नही है। उनका तर्क यही है कि पद्मावती के चरित्र को इस फ़िल्म के माध्यम से क्षत-विक्षत किया गया है। साथ ही पद्मावती की वेशभूषा और बोलचाल का तरीका भी भौंडे तरीके से दर्शाया गया है।
जयपुर के एक ड्रेस डिजाइनर ने पद्मावती के पहनावे पर आपत्ति भी की थी। लेकिन भंसाली ने उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया । कई ऐसे दृश्य भी फिल्माए गए है जो पद्मावती की महानता को क्षरण करते है। ऐसे हालत में फ़िल्म का प्रदर्शन राजपूत लोग करने देंगे, संदिग्ध लगता है।
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