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राजस्थान में कांग्रेस में मची उठापठक: घर फूंक दिया हमने, अब राख उठानी है
महेश झालानी
कमोबेश यही हाल इनदिनों खुद सचिन पायलट और उनके समर्थकों का समझ नही आ रहा है कि वे करे तो करे क्या ? कई बार नई स्टाइल से मुख्यमंत्री को धमकाने और ब्लैकमेल करने की कोशिश की । इन धमकियों का असर तनिक भी गहलोत पर नही पड़ा ।उलटे पायलट समर्थित विधायक गहलोत के द्वार पर चरणस्पर्श करने के लिए उतावले खड़े है ।
पूर्व मंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हेमाराम चौधरी ने इस उम्मीद से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था ताकि बहुत बड़ा राजनीतिक विस्फोट कर सके । लेकिन उनका इस्तीफा सुर्री की तरह सुर्र होकर रह गया । विस्फोट होना तो दूर रहा, किसी ने इस सुर्री को अहमियत देने से इनकार कर दिया । चौधरी समर्थकों को पूरी उम्मीद थी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी अजय माकन तथा प्रियंका गांधी उनको मनाएगी । परन्तु किसी ने हेमाराम से बात करना भी मुनासिब नही समझा । फिलहाल हेमाराम त्यागपत्र का मामला ठंडे बस्ते में सिमटकर रह गया है ।
जो व्यक्ति केबिनेट मिनिस्टर, छह बार विधायक और एक बार नेता प्रतिपक्ष रह चुका हो, क्या उन्हें नियम 173 की जानकारी नही होगी ? बिल्कुल होगी । फिर इन्होंने त्यागपत्र देने का स्वांग क्यों रचा ? यदि हेमाराम को इस्तीफा देना ही था तो उन्हें अध्यक्ष के सामने त्यागपत्र देने की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी । इस तरह मेल के जरिये त्यागपत्र देने के पीछे स्पस्ट रूप से मुख्यमंत्री को ब्लैकमेल करने की मंशा थी ।
हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद सचिन पायलट खेमे के वेदप्रकाश सोलंकी और मदन प्रजापति ने भी इस्तीफ़ा देने की सार्वजनिक धमकी दी । इनको भी उम्मीद थी कि आलाकमान उन्हें मनाते हुए चिकित्सा और परिवहन विभाग का मंत्री बनवा देगा । बेचारों के सारे अरमान आंसूओ में बह गए । किसी ने बात करने तक कि आवश्यकता नही समझी ।
इसी तरह पायलट गुट के प्रखर नेता रमेश मीणा ने भी विधानसभा में माइक की आड़ लेते हुए अनुसूचित जाति व जनजाति के विधायकों की सहानुभूति हासिल करने के लिए बहुत ही घिसे-पिटे फार्मूले के तहत इन जाति के विधायकों पर भेदभाव बरतने का आरोप लगाया था । रमेश मीणा को उम्मीद थी भारी संख्या में एसटी और एससी के विधायक आएंगे ।समर्थन देना तो दूर रहा, विधायको ने मीणा की इस हरकत को बचकानी बताया था ।
असन्तुष्ट हर बार माचिस से बम जलाने की ख्वाहिश रखते है । लेकिन बेचारे बीड़ी सुलगाने में भी नाकामयाब रहते है । इन हरकतों से सबसे ज्यादा किरकिरी हो रही है । मानेसर जाकर अपनी भदद पिटवा चुके है । प्रियंका और राहुल ने भी झांसा देकर पायलट गुट के साथ छल और प्रपंच किया । इनके झांसे में आकर कई असतुष्टो ने अनेक बार नई पोशाक तक बनवा ली ।
चर्चा है कि हेमाराम और वेदप्रकाश सोलंकी आदि सारा उधम सचिन के इशारे पर कर रहे है । अगर ऐसा है तो उनकी यह चाल भी बुरी तरह फ्लॉप हुई । अगर सचिन को भनक नही थी तो यह और भी बुरा हुआ । यानी सचिन खेमे के विधायक जेवड़ी तुड़ाकर भागने पर आमादा है । उधर चर्चा है कि हेमाराम ने मुख्यमंत्री के सामने हथियार डाल दिये । सचिन गुट के कद्दावर नेता कल अपनी उपस्थिति मुख्यमंत्री के समक्ष दर्ज करवा चुके है । स्वार्थ के लिए एकत्रित हुई भीड़ अब बिखरने लगी है ।
सचिन । सारी स्थिति से बेहद आहत और अंदर से पीड़ित है । इज्जत भी गई और पद भी । उधर समर्थक विधायक उनके कपड़े फाड़ने पर अमादा है । समझौता कराने वाली प्रियंका और राहुल बिल्कुल भी पायलट को अहमियत नही दे रहे है । इन हालातों में व्यक्ति का डिप्रेस होना स्वाभाविक है । अगले चुनाव में सचिन या उनके समर्थकों को टिकट मिल जाएगी, यह संशय है । वैसे भी सरकार किसी भी हालत में कांग्रेस की बनने से रही । उन हालातो में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों का भविष्य फुल एन्ड फाइनल - खल्लास ।
ऐसे समय के लिए ही प्रसिद्ध गीतकार संतोष आनंद ने ये पंक्तियां लिखी -
घर फूंक दिया हमने, अब राख उठानी है ।