

अगर दिल्ली के सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो अशोक गहलोत की मुख्यमंत्री पद से विदाई तय मानी जा रही है । पहले इनकी चिंतन शिविर के तत्काल बाद 20 मई से पूर्व विदाई होने वाली थी । लेकिन अब तारीख़ में थोड़ा बदलाव हो सकता है ।
ख़बर मिली है कि चिंतन शिविर के बाद गहलोत और सचिन पायलट को एक साथ दिल्ली तलब किया जा सकता है ताकि दोनो नेताओ के बीच सुलह कराई जा सके । क्योंकि कांग्रेस आलाकमान के लिए राजस्थान सबसे बड़ा सिरदर्द है । पिछले दो साल से सचिन और गहलोत के बीच ज़बरदस्त जंग छिड़ी हुई है । राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन जंग रोकने में पूरी तरह नाकामयाब साबित हुए है । बल्कि इनकी नियुक्ति के बाद दोनो के बीच ज़बरदस्त युद्ध छिड़ गया है तथा पार्टी गहलोत व पायलट गुटों में बंटकर रह गई है ।
यदपि गहलोत को यह संकेत दे दिए गए है कि उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी है । लेकिन अब खबर आइ है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनो को एकसाथ सोनिया गांधी दिल्ली तलब कर सकती है । सोनिया नहीं चाहती है कि गहलोत पर आदेश लादा जाए । इसलिए उन्हें सम्मान के साथ साथ विदा करने के अलावा सचिन को भी निर्देशित किया जा सकता है कि वे गहलोत की सलाह के अनुरूप सरकार का संचालन करें ।
ज्ञात हुआ है सोनिया दोनो को आमने सामने बिठा सकती है जिससे सुलह का यथोचित रास्ता निकाला जाए । सोनिया नही चाहती है कि आने वाले विधानसभा चुनावों के वक़्त दोनो में टकराहट नही हो । क्योंकि दोनो में सुलह नही हुई तो पाँच राज्यों की तरह राजस्थान में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ सकता है । फ़िलहाल केवल राजस्थान और छतीसगढ में ही कांग्रेस की सरकार है । शीर्ष नेतृत्व को उम्मीद है कि राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सरकार रिपीट हो सकती है । लेकिन यह तभी सम्भव है जब गहलोत और सचिन के बीच होने वाली आए दिन की मारधाड़ को टाला जाए ।